शिमला ! पैट,पीटिए पैरा केस में सुप्रीम कोर्ट ने अध्यापको के हक मे सुनाया फैसला ।

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फाइल चित्र
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शिमला ! वर्ष 2003 से 2007 के बीच मे हजारो अध्यापको की नियुक्तियॉ प्रदेश के दूरदराज की पाठशालाओं में योग्यता के आधार पर की गई थी। उक्त अध्यापकों के खिलाफ हाईकोर्ट मे 2013 में याचिका दायर की गई थी जिसमे 2014 मे उक्त अध्यापको के हक मे फैसला सुनाया गया था । उसके उपरान्त याचिका कर्ता ने सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती दी थी जिसके कारण मामला पॉच साल तक टल गया था। याचिका कर्ता ने उक्त अध्यापको की नियुक्तियों व योग्यता को चुनौती दी थी। माननीय सर्वोचन्यायलय ने याचिकाकर्ताओ के तथ्य सही साबित करने के लिए लम्बा समय दिया उसके बावजूद भी वो कोर्ट मे तथ्य पेश नही कर पाए। पैट अध्यापको की बात की जाए तो इन अध्यापकों की नियुक्तियॉ योग्यता के आधार पर विभिन्न पाठशालाओं मे ऐसे समय मे की गई थी जब प्रदेश में कोइ भी जेबीटी बेरोजगार नही था।

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उसके बाद सरकार के माध्यम से डीएलएड करवाई गई थी। प्राथमिक पाठशालाओं मे इस प्रकार की नियुक्तियॉ कई दशको से की जा रही है। आज सुप्रीम कोर्ट ने विरोधियों की याचिका खारिज करके सभी अध्यापकों के हक मे फैसला सुनाया। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नरायण हिमराल, संजय चौधरी, विपिन कौशल, संजय ठाकुर, खूबराम, नवीन बरोटा, आत्मा राम, गुरदीप सिंह, नेकराम पण्डयार, होशियार ठाकुर, राजू, केसी ठाकुर, खुशवन्त ठाकुर, नारद ठाकूर, रेखा ठाकुर, लीला शर्मा, मीना शर्मा इत्यादि अध्यापको ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत करके हुए कहा कि आज हजारों अध्यापकों के परिवारों में खुशियॉ आई है। 16 वर्षो से सेवाएं दे रहे अध्यापकों ने आज राहत की सांस ली है। आज नियमितिकरण की सारी बाधाएं समाप्त हो गई है। उन्होने सरकार से आग्रह किया कि अध्यापकों को तुरन्त प्रभाव से नियमित किया जाए ।

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