चम्बा ! हिन्दी के प्रसिद्ध कवि चन्द्र कान्त देवताले के जन्मोत्सव पर सत्र — 42 का किया गया आयोजन !

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चम्बा , 21 नवंबर ! सुन्दर शिक्षा (परमार्थ) न्यास के तत्वावधान से 20 नवम्बर 2022 को ‘कला सृजन पाठशाला’ द्वारा हिन्दी के प्रसिद्ध कवि चन्द्र कान्त देवताले के जन्मोत्सव पर कविता-पाठ तथा लेख-पाठ का आयोजन सत्र-42 किया गया।

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इस सुअवसर पर कला सृजन पाठशाला के सदस्यों के साथ-साथ राजकीय महाविधालय चम्बा के छात्रों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत मे मंच के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने चन्द्र कान्त देवताले के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का पाठ करते हुए, उनके काव्य का टिप्पणी सहित विश्लेषण भी किया। इसके पश्चात सभी कवियों ने अपनी अपनी रचनाओ से सभी को भावविभोर किया तथा कविताओं के माध्यम से देश और दुनिया की विसंगतियों पर ध्यान आकर्षित किया।

कार्यक्रम की शुरूआत कला सृजन पाठशाला के संरक्षक बाल कृष्ण पराशर शर्मा द्वारा की गई। उन्होंने शब्दों के उच्चारण स्थानों का जिक्र करते हुए कण्ठ, तालु, मूर्धा, ओष्ठ , नासिका द्वारा उच्चारित शब्दों के महत्व पर अति महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया तथा हिन्दी भाषा की वैज्ञानिकता को रेखांकित किया।

कला सृजन पाठशाला के महासचिव तथा राजकीय महाविद्यालय चंबा के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. संतोष कुमार ने सृजन के महत्व पर सारगर्भित तथा ज्ञानवर्धक लेख पढ़ा।

कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने कविता की वास्तविकता से अवगत करवाते हुए सृजन के लिए अरस्तु के दर्शन की पैरवी करते हुए सभी सदस्यों को मंत्रमुग्ध किया।

सुरजीत सिंह ने चन्द्रकान्त देवताले की कविता ‘इस पठार पर’ का पाठ किया जिसकी इन पंक्तियों ने देश विदेश तथा आज के सामाजिक तथा मानवीय मूल्यों पर बहुत कुछ कह दिया : पत्थरों को तोड़ते हुए आदमी/और कोयला बीनती हुई औरतें/और नंगे पैर ठिठुरते हुए बच्चे/मुझे इस पठार पर/अपने मौज़ूदा मुक़द्दर के ख़िलाफ़/हर रोज़ कुछ दे रहे हैं/मैं उसको भट्ठी में पकाकर/उन्हें वापस करने में लगा हूँ/और देख रहा हूँ अब इस पठार पर/आहिस्ता-आहिस्ता बदलता जा रहा है/मुट्ठियों का अर्थ.
धर्मवीर शर्मा ने सभी वक्तव्यों की सराहना करते हुए कहा रचनाधर्मिता निरन्तर अन्वेषण है और जीवन की पुनर्व्याख्या है जो सृजन के माध्यम से कला सृजन पाठशाला के प्रत्येक आयोजन सत्र में प्रतिबिंबित होता दिखाई दे रही है।

इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर संतोष कुमार ने अपनी त्वरित टिप्पणियों के साथ किया तथा कला सृजन पाठशाला के अध्यक्ष शरत् शर्मा ने सभी रचनाओं का विश्लेषण करके अयोजन सत्र-42 को उपस्थित सभी सदस्यों, सृजेताओं,श्रोताओं, और पाठी के साथ धन्यवाद सहित समापन की ओर अग्रेषित किया।

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