शिमला ! छात्रों पर ऑनलाइन क्लासेज़ में मानसिक दबाव बनाने के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन !

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शिमला ! छात्र अभिभावक मंच ने दयानंद स्कूल प्रबंधन द्वारा टयूशन फीस में की गई पचास प्रतिशत तक की फीस बढ़ोतरी व उसकी वसूली के लिए छात्रों पर ऑनलाइन क्लासेज़ में मानसिक दबाव बनाने के खिलाफ शिक्षा निदेशक कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इसके बाद मंच का प्रतिनिधिमंडल उच्चतर शिक्षा निदेशक से मिला व उन्हें ज्ञापन सौंप कर फीस बढ़ोतरी वापिस लेने व दयानंद स्कूल पर कठोर कार्रवाई की मांग की। निदेशक ने मंच के सदस्यों को उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। मंच ने शिक्षा निदेशक को चेताया है कि अगर बढ़ी हुई पचास प्रतिशत फीस वापिस न ली गयी तो आंदोलन तेज होगा। प्रदर्शन में विजेंद्र मेहरा,भुवनेश्वर सिंह,कमलेश वर्मा,हेमंत शर्मा,राजकुमार,अमित राठौड़,बालक राम,रामप्रकाश,विरेन्द्र नेगी,विरेन्द्र लाल,नोख राम,सीता राम आदि मौजूद रहे।

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मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा,भुवनेश्वर सिंह व कमलेश वर्मा ने कहा है कि दयानंद स्कूल की मनमानी फीसों व पचास प्रतिशत टयूशन फीस बढ़ोतरी के खिलाफ मंच के प्रतिनिधिन 28 अप्रैल 2021 को शिक्षा निदेशक से मिला था व इस संदर्भ में ज्ञापन सौंपा था। इसके बाद फीसों को लेकर स्कूल प्रबंधन से पांच दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा था परन्तु स्कूल ने जान बूझ कर लगभग सवा एक महीने के बाद इसका जबाव दिया ताकि इस दौरान ज़्यादा से ज्यादा अभिभावकों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करके पूर्ण फीस वसूली जा सके। पत्र के जबाव में भी स्कूल प्रबंधन ने सभी मुद्दों पर शिक्षा निदेशक को गुमराह किया है जोकि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने दयानंद स्कूल प्रबंधन के उस तर्क को पूर्णतः नकारा है जिसमें उसने कहा है कि फीस वृद्धि पीटीए की सहमति से की गयी है। जब वर्ष 2020 व 2021में अभिभावकों का जनरल हाउस ही नहीं हुआ तो पीटीए कैसे बनी। अगर स्कूल प्रबंधन ने सच में ही पीटीए का गठन किया है तो वह पीटीए के गठन के लिए अभिभावकों को भेजे गए जनरल हाउस के सूचना पत्र को सार्वजनिक करे। स्कूल प्रबंधन द्वारा पीटीए गठन वाले दिन के जनरल हाउस की कार्यवाही रजिस्टर को सार्वजनिक किया जाए। वर्ष 2019 के शिक्षा विभाग के आदेशानुसार दयानंद स्कूल के जनरल हाउस में कोई भी पीटीए नहीं बनी है व यह प्रबंधन के आर्थिक हितों के संरक्षण के लिए बनाई गई डम्मी पीटीए है।

विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि दयानंद स्कूल की पीटीए शिक्षा निदेशक के निर्देशानुसार नहीं बनी है अतः यह पूर्णतः अमान्य है व अभिभावकों को मंजूर नहीं है। वैसे भी शिक्षा निदेशक ने 5 दिसम्बर 2019 को फीसों की बढ़ोतरी के संदर्भ में जो अधिसूचना जारी की है,उसमें स्पष्ट तौर पर केवल अभिभावकों के जनरल हाउस को ही फीसों के संदर्भ में निर्णय लेने की शक्ति दी गयी है व पीटीए की भूमिका पर रोक लगाई है।

उन्होंने कहा है कि मंच की मांग पर ही जनरल हाउस को फीसों के संदर्भ में शक्तियां देने व निर्णय लेने वाले पत्र में ही शिक्षा निदेशक ने साफ कर दिया था कि शिक्षा निदेशालय के पास निजी स्कूलों के प्रबंधन के साथ पीटीए की मिलीभगत की काफी शिकायतें आ रही हैं,इसलिए फीसों के संदर्भ में पीटीए की कोई भूमिका नहीं होगी। इस पर शिक्षा निदेशक ने 18 जनवरी व 12 मार्च 2020 के लिखित आदेशों के माध्यम से रोक लगा दी थी। परन्तु शिक्षा निदेशक के आदेशों की अवहेलना करके दयानंद स्कूल व अन्य निजी स्कूलों ने गैरकानूनी गैर शक्ति प्राप्त अमान्य पीटीए से मिलीभगत करके वर्ष 2021 में पचास प्रतिशत तक फीस बढ़ोतरी कर दी। दयानंद स्कूल प्रबंधन शिक्षा विभाग को यह कह कर गुमराह कर रहा है कि उसने केवल छः से सात प्रतिशत वृद्धि की है जबकि स्कूल ने टयूशन फीस में पचास प्रतिशत तक फीस वृद्धि की है। इस संदर्भ में स्कूल से पिछले व इस वर्ष की फीस रसीदें मंगवाने पर सारी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इस वर्ष स्कूल ने जान बूझ कर यह पचास प्रतिशत वृद्धि टयूशन फीस में की है ताकि टयूशन फीस वसूली में ही स्कूल ज़्यादातर फीस वसूल सके। यह अनैतिक है व आर्थिक भ्रष्टाचार है व इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।

उन्होंने कहा है कि बच्चों को ऑनलाइन क्लासेज़ में फीस जमा करने के लिए मानसिक दबाव बनाना संविधान के अनुच्छेद 39(एफ) में बच्चों को प्राप्त उनके नैतिक व भौतिक अधिकारों का उल्लंघन है। इस पर भी स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई होनी चाहिए। स्कूल प्रबंधन कैसे नाबालिग छात्रों से आर्थिक हित(फीस मांगने) पूर्ति की मांग कर सकता है। स्कूल प्रबन्ध की मनमानी फीस जमा न करने वाले छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं से बाहर किया जा रहा है जोकि शिक्षा निदेशक के वर्ष 2020 के आदेशों का उल्लंघन है व इस पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने मांग की है कि इस वर्ष की गई भारी फीस बढ़ोतरी को रद्द किया जाए व कोरोना काल में वर्ष 2019 की तर्ज़ पर ही केवल टयूशन फीस वसूली जाए।

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