बद्दी ! उद्योग संगठनों ने प्रदेश सरकार के लॉकडाऊन के सर्वे पर जताई नाराजगी !

- बीबीएन के उद्योगपति सरकार के इस निर्णय के हैं खिलाफ - उद्योग पहले ही लॉकडाउन के चलते काफी मंदी में

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प्रतीक चित्र
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बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ इंडस्ट्री एसोसिएशन (बीबीएनआईए) के उद्योगपतियों ने आज यहां एक राज्यस्तरीय बर्चुअल प्रेस वार्ता का आयोजन किया। जिसमें बीबीएनआईए के अध्यक्ष संजय खुराना, महासचिव वाईएस गुलेरिया, सीआईआई के शैलेश पाठक, शैलेष अग्रवाल, एचडीएमआई के डॉ. राजेश गुप्ता, सतीश सिंघल, विपिन गर्ग, गत्ता उद्योग के प्रदेशाध्यक्ष सुरेंद्र जैन, लघु उद्योग भारती के प्रदेशाध्यक्ष राजीव कंसल, उद्योग प्रकोष्ठ के सह-संयोजक सुमित शर्मा, हरीश अग्रवाल व एच.पी.यू.जे के प्रदेशाध्यक्ष आर.एस. राणा समेत कई अन्य औद्योगिक इकाईयों के उद्योगपति शामिल हुए। इन सभी उद्योगपतियों ने मीडीया के साथ बात करते हुए एकसुर में प्रदेश सरकार द्वारा तथाकथित लॉकलाडन के लिए सर्वे को सिरे से नकारते हुए ऐसे सर्वे का कड़े शब्दों में विरोध किया। सभी उद्योगपतियों ने कहा कि सरकार को ऐसे निर्णयों से बचना चाहिए।

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संजय खुराना ने कहा कि बीबीएन का उद्योग पहले ही लॉकडाउन के चलते काफी मंदी में चल रहा है। इस पर दोबारा यदि लॉकडाउन लगाया जाता है तो हम काफी पीछे चले जाएंगे। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन लगाने अथवा न लगाने के लिए सर्वे करवाना कहीं भी न्यायोचित नहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि बीबीएन के उद्योगपति सरकार के इस निर्णय के खिलाफ हैं। प्रदेश में कोविड-19 की रोकथाम के लिए हर उद्योगपति ने सरकार से कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। जब तक यह महामारी शांत नहीं हो जाती सभी उद्योगपति सरकार के साथ खड़े हैं। परंतु इस तरह सर्वे करवाकर लॉकडाउन जैसे विकट परिस्थिति में उद्योग जगत को दोबारा धकेला जाना कतई तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि बीबीएन में कोरोना के बढ़ते मामलों से सभी लोग चिंतित है, परंतु इसका हल लॉकडाउन लगान नहीं खोजा जा सकता। इसके लिए प्रदेश सरकार को अन्य राज्यों में अपनाए गए तरीकों पर भी गौर करना चाहिए। दिल्ली में सबसे अधिक कोरोना के केस पाए गए। उन्होंने माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाए अब वहां स्थिति काफी हद तक काबू में हैं। संजय खुराना ने इस परिस्थिति में लॉकडाउन लगाना उद्योग जगत के लिए घातक सिद्ध होगा। प्रदेश का उद्योग जगत पहले ही लॉकडाउन के चलते काफी पीछे चला गया है।
एचडीएमआई के अध्यक्ष डॉ. राजेश गुप्ता ने कहा कि प्रदेश की इंडस्ट्री में कोई सेल्फ स्टार्ट का बटन नहीं लगा है कि जब चाहा ऑन कर दिया और जब चाहा ऑफ कर दिया। बीबीएन के बहुत से उद्योगों में अभी भी लेबर की काफी कमी है। लॉकडाउन की अफवाह के चलते बहुत से उद्योगों से कामगार वापिस अपने घरों को जाने के लिए आतुर हो गए हैं। प्रदेश सरकार को व्यवस्था में सुधार लाना चाहिए, न कि लॉकडाउन के सर्वे में समय बर्बाद करके उद्योग जगत को अनिश्चितता के बवंडर में धकेलने का फैसला करना चाहिए। सीआईआई के शैलेश अग्रवाल ने कहा कि वोट से लॉकडाउन का निर्णय सहीं नहीं है। हिमाचल से ज्यादा भयंकर स्थिति वाले प्रदेशों में भी दोबारा लॉकडाउन नहीं लगाया गया। लॉकडाउन के लिए सर्वे का तरीका अपने आप में हस्सास्पद निर्णय लगता है। उन्होंने अपील की है कि जयराम ठाकुर सरकार गलत कदम न उठाए जिससे की सुधरने की बजाय बिगड़ जाए।

उद्योगपति हरीश अग्रवाल ने कहा कि हेल्थ का मामला वोटिंग से नहीं हो सकता। इसमें सरकार को विशेषज्ञों से वार्ता करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बीबीएन का उद्योग प्रदेश सरकार करे हर महीने करीब 200 करोड़ रुपए ईएसआई का जमा करवाता है। हैरत इस बात की है कि जबकि प्रदेश के उद्योग जगत के पास ही चिकित्सा विशेषज्ञ नहीं हैं। परवाणु उद्योग संघ के अध्यक्ष सार्थक ने कहा कि लघु उद्योगपति रेपिड एंटीजेंट टेस्ट का बोझ नहीं झेल पाएंगे ऐसे में सरकार को इसका खर्च उठाना चाहिए।

उद्योगपति विक्रम बिंदल ने कहा कि यदि प्रदेश में दोबारा लॉकडाउन लगता है तो उद्योग जगत गरत में चला जाएगा। इससे और बेरोजगारी बढ़ेगी। प्रदेश सरकार आए दिन एक नया नोटिस निकाल कर अपना पल्ला झाड़ लेती है। उन्होंने आरोप लगाया कि उद्योग जगत को बर्बाद करने की कोशिश को कतई सहन नहीं किया जाएगा।
राजेंद्र गुलेरिया ने कहा कि प्रदेश में लॉकडाउन की अफवाहों के बीच कामगारों को फिर से पलायन शुरू हो रहा है। इसे किसी भी कीमत में रोकना होगा। सरकार को प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करना चाहिए।

प्रदेश गत्ता उद्योग संघ के अध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने कहा कि प्रदेश में सेब सीजन पीक पर है। ऐसे में लॉकडाउन होने से एप्पल बॉक्स बनाने का काम बंद हो जाएगा। जिससे की बागवानों को भी उचित समय में एप्पल बॉक्स नहीं मिल पाएगा। जिससे कि सेब सीजन भी प्रभावित होगा।

उद्योगतियों ने कहा कि सरकार को अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार लाते हुए उन्हें सुदृढ़ करना होगा। कोरोना सैंपलिंग में लगने वाले तीन दिन को एक दिन करना होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कई स्थानों में कोरोना टेस्ट मशीनों तो पहुंच गई हैं, लेकिन उन्हें चलाने वाला कोई नहीं है। प्रदेश में लॉकडाउन पर मैनेजमेंट के साथ-साथ आम लोग भी इस समय असमंजस की स्थिति में हैं।

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