करसोग । उपमंडल करसोग में करसोग के मटर उत्पादकों की दशा दयनीय हो चुकी है क्योंकि मटर की फसल करसोग के किसानों की प्रमुख नगदी फसल मानी जाती है पर आजकल कुछ मौसम का मिजाज और सरकार द्वारा लॉक डाउन के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति बिल्कुल बिगड़ चुकी है 20 11 के आंकड़ों के अनुसार करसोग की कुल जनसंख्या लगभग 95 हजार के करीब थी परंतु आजकल करसोग की कुल जनसंख्या कम से कम 1 लाख 20 हजार से ऊपर पहुंच गई होगी आज की लगातार लॉक डॉन के चलते मटर उत्पादकों को मजदूर व वाहन चालक नहीं मिल रहे हैं क्योंकि यहां के मटर उत्पादक यहां की स्थानीय गाड़ियों में अपनी फसल सब्जी मंडियों में बेचते है !
आपको बता दें कि लगातार कुछ समय से मौसम के मिजाज में परिवर्तन आने के कारण बारिश ओलावृष्टि और तूफान के कारण पहले ही कम से कम 30 से 35 प्रतिशत मटर की फसल तबाह हो चुकी है और जो फसल बची हुई है उस पर भी गहरा संकट होने की संभावना आजकल देखने को मिल रही है इस समय भारत में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते लॉक डाउन का असर अब करसोग के मटर के उत्पादकों पर साफ दिखने लगा है यहां किसान तबके के लोगों को आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है जिसके कारण किसानों के चकनाचूर होने के कगार पर है !
यही नहीं 80% किसानों में भी कई ऐसे किसान हैं जिनके पास काफी कम खेत हैं तथा मटर खेती से होने वाले उत्पादन से ही अपने पूरे साल की जरूरत पूरी करते हैं इस बार मटर की फसल काफी अच्छी थी जिससे मटर उत्पादकों को काफी उम्मीद थी लेकिन फरवरी मार्च मैं हुई बारिश व तूफान से इस समय मटर की फसल पूरी तरह से बर्बादी की ओर नजर आ रही हैं आपको बता दें कि मटर उत्पादकों को गाड़ियां ना मिलने के कारण लगातार नुकसान हो रहा है कई दूरदराज के किसान इन वाहन चालको के आने का इंतजार कर रहे हैं गांव में मजदूर ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हो ऐसे में स्थिति बदतर होती जा रही है अगर फसल समय से नहीं जी की तो यहां दूरदराज तथा स्थानीय किसान व मटर उत्पादक बर्बाद हो जायेंगे ।