सोलन ! सूरजपुर पंचायत में स्टोन क्रेशर लगाने पर ग्रामीणों ने किया सख्त विरोध ! 

गांव व आबादी से दूर है क्रशर और लग रहा निजी जमीन पर:प्रधान सरकारी विभागों ने दिया है लायसेंस व एनओसी पंचायत का रोल नहीं

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सोलन ,[ बद्दी ] 05 मार्च [ पंकज गोल्डी ] ! ग्राम पंचायत सूरजपुर में निजी जमीन पर लगने वाले स्टोन क्रशर का ग्रामीणों ने कढाई से विरोध किया है। टिपरा, माजरी व सूरजपुर गांव के निवासियों ने एकजुट होकर पंचायत को लिखित में निर्देश दिया है कि टीपरा गांव की नीजि जमीन पर लगने वाले स्टोन क्रशर को एनओसी न दी जाए अन्यथा ग्रामीण पंचायत घर पर भूख हडताल पर बैठेंगे। दरअसल टीपरा गांव में हरियाणा निवासी की निजी जमीन है तथा जमीन मालिक उस जमीन को स्टोन क्रशर संचालक को किराये पर दे चुका है जिसकी पंचायत द्वारा बिना ग्रामीणों की सहमति से अनापति जारी करने की प्रक्रिया जारी है।

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लेकिन जैसे ही ग्रामीणों को स्टोन क्रेशर लगने की सुचना मिली सभी एकजुट होकर क्रेशर के विरोध में उतर आये हैं। स्थानीय निवासी राम करण, सोडी सिंह, राम गोपाल, रमेश कुमार, जीत राम, सुमन, सूशील, अशोक कुमार, किरन, राम गोपाल, ईशवाली मोहन सिंह, बेअन्त कौर, ममता देवी, बन्ती देवी, पोली देवी, अमरनाथ, भूपिन्द्र सिंह, राम प्रताप, रजना देवी, जमना देवी, दिक्षा, गीता, राममुर्ति, रीना देवी, दीपक, उषा देवी, रीना देवी, पगोया देवी,  बलविन्द्र कौर, हेमराज, बामचन्द आदि सैकडों ग्रामीणों का कहना है कि जहां पर यह स्टोन क्रेशर प्रस्तावित है उस जमीन के साथ आधा दर्जन से ज्यादा गांव बसते हैं जिसके कारण गांव वासियों को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पडेगा।

इसके इलावा इस जमीन के साथ सरकारी जमीन पर चितकारा विश्वविद्यालय द्वारा बडा प्रोजक्ट शुरू होने वाला है जोकि स्टोन क्रेशर के लगने से प्रभावित हो सकता है और यह प्रोजक्ट अधर में लटक सकता है। उपरोक्त लोगों का कहना है कि यदि पंचायत द्वारा यह एनओसी जारी की जाती है तो ग्रामीण आंदोलन करेंगे और किसी भी किमत पर स्टोन क्रेशर नहीं लगने देंगे।

वहीं जब इस विषय में पंचायत प्रधान सूरजपुर पार्वती शर्मा ने कहा कि यह क्रशर सरकारी नहीं बल्कि निजी जमीन पर लग रहा है। इसमें क्रशर लगाने को लायसेंस व एनओसी वन विभाग, माईनिंग विभाग, लोक निर्माण विभाग, आईपीएच व राजस्व विभाग ने एनओसी दी है। इन क्रशर की एनओसी का आवेदन पंचायत के पास आया था जिसको ग्राम सभा में पेश किया गया ।

इसमें सिर्फ एक महिला बेअंत कौर जो कि उस वार्ड की नहीं थी का विरोध आया था। इस पर हमने इश्तिहार छपवाए लेकिन उसका किसी ने विरोध नहीं किया। ग्राम सभा ने इसको एनओसी दिया था जबकि सरकारी विभाग पहले ही समस्त लायसेंस दे चुके थे। बिना बात के विरोध करना कुछ लोगों की आदत बन चुकी है क्योंकि यह क्रशर निजी जमीन पर है तो न जाने कुछ लोगों को बिना वजह दर्द क्यों है। यह क्रशर गांव व आबादी से काफी दूर है फिर भी लोग अडंगा डाल रहे हैं।

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