चम्बा ! संगीत विषय स्कूलों में शुरु कर अपना चुनावी वादा निभाएं सरकार !

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चम्बा ! आज म्यूजिक वैल्फेयर एसोसिएशन हि.प्र. , संगीत छात्र कल्याण संगठन हि.प्र. तथा संगठन की समस्त राज्य स्तरीय इकाइयों की संयुक्त बैठक गूगल मीट के माध्यम से सम्पन्न हुई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में नई शिक्षा नीति के तहत संगीत विषय को शुरू करवाने के सन्दर्भ में परिचर्चा करना था। इस बैठक में काफी संख्या में प्रदेश के विख्यात संगीतज्ञों, संगीत साधकों, विद्यार्थियों एवं शोधकर्ताओं ने भाग लिया।

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गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश सरकार अगले वर्ष से नई शिक्षा नीति लागू करने की तैयारी कर रही है। नई शिक्षा नीति में स्ट्रीम व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। विद्यार्थी अपने मनपसंद विषयों को चुनने के लिए स्वतंत्र होगा। नई शिक्षा नीति शुरू हो जाने पर जीव विज्ञान का विद्यार्थी यदि भूगोल पढ़ना चाहेगा तो वह पढ़ सकेगा। इसी तरह यदि भौतिक विज्ञान का विद्यार्थी संगीत विषय में रुचि रखता हो तो वह भौतिक विज्ञान के साथ संगीत विषय का ज्ञान भी प्राप्त कर सकेगा। नई शिक्षा नीति मनवांछित शिक्षा के अधिकार को साकार रूप प्रदान करती है जबकि पुरानी या वर्तमान शिक्षा नीति में यह स्वतंत्रता विद्यार्थियों को प्राप्त नहीं थी।

हिमाचल प्रदेश सरकार नई शिक्षा नीति को जल्द से जल्द लागू करना चाहती है लेकिन प्रश्न यह उठता है कि यदि कोई विद्यार्थी संगीत विषय में रुचि रखता है और वह नौवीं कक्षा में उसे पढ़ने की इच्छा ज़ाहिर करता है, इस स्थिति में स्कूल में संगीत शिक्षक न होने के कारण वह विद्यार्थी संगीत की शिक्षा कैसे प्राप्त करेगा? यहां एक और प्रश्न यह उठता है कि क्या प्रदेश सरकार संगीत विषय के बिना ही नई शिक्षा नीति लागू करने जा रही है? हिमाचल प्रदेश में लगभग 2500 वरिष्ठ माध्यमिक पाठशालाएं हैं जिनमें से केवल 60 – 65 में ही संगीत विषय के शिक्षक मौजूद हैं। यदि महाविद्यालयों की बात की जाए तो लगभग 50% महाविद्यालयों में आज भी यह विषय नहीं पढ़ाया जा रहा है। तबला संगीत का आधार होता है, ताल के बिना गायन-वादन अधूरा है।

वर्ष 2004 के बाद किसी भी विद्यालय/महाविद्यालय में एक भी तबला सहायक की नियुक्ति नहीं की गई है जबकि वर्ष 2017 में तबला सहायकों के लगभग 92 पद पूर्व सरकार द्वारा सृजित किए गए थे। नई शिक्षा नीति यदि संगीत विषय के बिना ही प्रदेश के विद्यालयों तथा महाविद्यालय में लागू कर दी जाएगी तो यह संगीत में रुचि रखने वाले हजारों-लाखों विद्यार्थियों के साथ अन्याय होगा। वर्तमान सरकार ने वर्ष 2017 में चुनाव घोषणा पत्र में संगीत विषय को सभी स्कूलों में शुरू करने की बात लिखी थी लेकिन अभी तक अपना वादा पूरा नहीं किया है।

बैठक में यह निर्णय लिया गया कि यदि सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत स्कूलों के लिए संगीत शिक्षकों के पद सृजित नहीं किए और अपना वादा जल्द से जल्द पूरा नहीं किया तो संगठन आने वाले दिनों में प्रदेश स्तर इसका विरोध करेगा।

 

बैठक में “म्यूजिक वैलफेयर एसोसिएसन हि. प्र.” के अध्यक्ष डॉ. रमेश राजपूत, संगीत छात्र कल्याण संगठन के अध्यक्ष डॉ. मदन झाल्टा, एम.डब्ल्यू. ए. के फांउडर तथा एम.एस.डब्ल्यू. ए. के संयोजक डॉ. राजेश के. चौहान, प्रदेश के प्रख्यात तबला गुरु कश्मीरी लाल जी, जाने-माने संगीतज्ञ डॉ. लाल चंद जी, संगठन की महासचिव व मंडी जिला की प्रभारी ईशा डोगरा, गुरु शिष्य परम्परा के अध्यक्ष श्री सीता राम शर्मा, ज़िला चम्बा के प्रभारी मोहन प्यारे, कांगड़ा प्रभारी विक्रांत, हमीरपुर प्रभारी पंकज मोहन, जिला सोलन प्रभारी श्री परविंदर सिंह, जिला बिलासपुर प्रभारी राघव राजपूत, जिला कुल्लू से पंडित विद्या सागर जी, जीवन ठाकुर और बलदेव सिंह, जिला सिरमौर के प्रभारी सुनील चौधरी, शिमला के प्रभारी चितरंजन भारती, जिला ऊना प्रभारी रमेश चंद , जिला किन्नौर की प्रभारी चंपा नेगी तथा लाहौल-स्पीति प्रभारी अनिल कुमार तथा डॉ.ठाकुर सेन, डॉ. कमलेश भटोइया, डॉ.जीवन, अभिलाषा शर्मा, मोहिनी शर्मा, डॉ.सरिता ठाकुर, प्रियंका बंसल , नरेन्द्र सिंह, मोहन सिंह, ललित, नीरज कार्शी, विशाल गझैल, अखिल शर्मा, अंकुश संदल, अंशुल शर्मा, अर्चना चंदेल, आयुष मंगला, भुवन भाटिया, दिक्षित शर्मा, हीना शर्मा, एच.एस.वशिष्ठ, कमलेश शर्मा, शिवानी शर्मा, कुलदीप चंदेल, मनोज ठाकुर, प्रवीण कुमार, राघव शर्मा, रिया ठाकुर, आर.के. बॉबी, सूरज सकलानी, विनय भारती, इत्यादि शामिल रहे।

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