वर्तमान समय में डगमगाती हमारी प्राचीन संस्कृति और परंपराएं !

0
2946
लायक राम शर्मा प्रवक्ता अंग्रेजी
- विज्ञापन (Article Top Ad) -

भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो 90 के दशक के बाद गांवों और कस्बों में नए युग का सूत्रपात हुआ है। संचार क्रांति ने गांव की जिंदगी को एकदम बदल कर रख दिया है। जैसे-जैसे ग्राम्य जीवन के हर पहलू में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने प्रवेश किया, यकायक ही लोगों की आर्थिकी में सुधार होने लगा। इसके बहुत सारे सार्थक पहलू उभर कर सामने आए जैसे लोगों का जीवन स्तर बढ़ना, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार आना और खास कर शिक्षा की एक क्रांति पूरे हिमाचल प्रदेश में देखी गई। आज केरल के पश्चात शिक्षा के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश दूसरे नंबर पर आ गया है। इसी प्रकार से यदि प्रति व्यक्ति आय या किसी अन्य सूचकांक को लिया जाए तो हिमाचल प्रदेश ना केवल छोटे राज्यों की श्रेणी में बल्कि पूरे देश भर में बड़े राज्यों की तुलना में भी बहुत अधिक सुदृढ़ बन करके निकला है। आज हिमाचल प्रदेश का लगभग हर गांव सड़कों के माध्यम से विकास की मुख्यधारा में जुड़ गया है। पिछले 30 वर्षों में कृषि एवं वानिकी के क्षेत्र में अद्भुत तरक्की देखी गई है।

- विज्ञापन (Article inline Ad) -

परंतु ऐसे में एक चिंताजनक बात यह भी देखने में आई है कि हमारे समाज का ताना-बाना खासकर हमारी लोक संस्कृति और परंपराएं धीरे-धीरे लुप्त होती नजर आ रही हैं। कृषि, पशुपालन या जीवन के किसी भी क्षेत्र में जन सहभागिता जिसे ‘बुआरी’ प्रथा के नाम से जाना जाता था आज सामाजिक जीवन से लुप्तप्राय है। ग्रामीण परिवेश एवं स्थानीय समाज में इस प्रकार के अनेकों परिवर्तन हुए हैं जिससे हमारा सामाजिक परिवेश एवं व्यवस्था पूर्ण रूप से बदल गयी है और ऐसे में सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है देव संस्कृति पर। आधुनिकता की होड़ में हमने अपने बच्चे अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में भेजना शुरू किए। जैसे-जैसे आर्थिकी बढ़ी, लोगों के पास सुख-सुविधाएं भी बढ़ी और ग्रामीण जीवन से सहजता, आत्मीयता एवं अपनापन धीरे-धीरे खत्म होने लगा। एक बात यह भी महसूस की गई है कि आज हम और हमारी सोच यांत्रिक हो गई है। लोगों में भावुकता या एक-दूसरे के प्रति स्नेह की भावना धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है तथा आत्मीयता की जगह व्यवहारिकता ने ले ली है। यह स्वाभाविक है कि आर्थिक तरक्की के साथ-साथ मनुष्य में अहंकार जन्म लेता है, ऐसे में यह अति आवश्यक है कि हम अपनी व्यवहारिक जिंदगी में अपनी आगे आने वाली पीढ़ी को बड़े- बुजुर्गों के प्रति सम्मान और खास कर अपनी सभ्यता और संस्कृति के प्रति आदर का भाव रखना सिखाएं। पिछले लगभग 2 वर्षों से पूरा विश्व एक कमरे में सिमट गया है। प्रकृति की तरफ से यह अपने आप में एक बहुत बड़ा संकेत है।

हिमाचल के संदर्भ में यदि मैं बात करूं तो देव-संस्कृति को बचाए रखना और उसका सम्मान करना हम सबकी नैतिक जिम्मेवारी है। किसी भी समुदाय, समाज या नस्ल की तरक्की केवल मात्र तभी तक संभव है जब तक उसमें एक दूसरे के प्रति आदर, सौहार्द्र और अपनापन कायम है। एक ऐसा समाज जहां मानवीय मूल्यों एवं आदर्शों का अभाव हो जाए वह विनाश के कगार पर खड़ा हो जाता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि हमारे समाज का बुद्धिजीवी वर्ग आगे आए और अपने आत्मीय ज्ञान से समाज का मार्गदर्शन करे ताकि हमारे बुजुर्गों की यह अमूल्य धरोहर और हमारी सनातन परंपराओं को अक्षुण्ण रखा जा सके।

लायक राम शर्मा
प्रवक्ता अंग्रेजी
राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय लक्कड़ बाजार शिमला

- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

पिछला लेखशिमला ! आर्यन्स में 15वें स्थापना दिवस पर सुखमनी साहिब का पाठ आयोजित !
अगला लेखशिमला ! मुख्यमंत्री ने जेपी नड्डा से भेंट की !