चम्बा ! स्वछता आज देश का एक एहम मुद्दा बन चुका है,पर आज भी कई जिले ऐसे है जंहा पर्यावरण,और स्वछता की सरेआम धज्जिया उड़ाई जा रही है। अगर हम बात करे चम्बा की जीवन दायनी रावी नदी की तो यह नदी अपनी पवित्रता को लेकर हज़ारो वर्षो से इसी चम्बा के मध्य तेज धारा के साथ लोगों को जीवन तो दे रही है पर आज इसी जीवन दायनी रावी नदी का खुद का अस्तित्व खतरे में पड़ता जा रहा है। लोग तो लोग खुद चम्बा की नगरपालिका इसकी दुर्गति करने पर उतारू है। नगरपालिका के लोग रोजाना टनों के हिसाब से कचरा शहर से उठाते है और रावी नदी के किनारे फेंकने के बाद उस कचरे को जला देते है जिस कारण वंहा के साथनीय लोगों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है वंही सारे का सारा वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है।
वंही इस ऐतिहासिक रावी नदी को लेकर एक समाज सेवक ने बताया कि रावी नदी की स्वछता को लेकर हम लम्बे समय से जिला प्रशासन से प्रयास किये हुए है पर इसकी किसी ने कोई सुध नहीं ली है। उन्होंने बताया कि जिले के दूर दराज का कूड़ा हो या फिर शहर का सरे का सारा कूड़ा रावी के किनारे ही फेंक दिया जाता है। इन लोगों का कहना है कि रावी नदी एक नदी नहीं है इसके साथ चम्बा वासियों की आस्था भी जुडी हुई है और यह आस्था किसी गंगा से कम नहीं है। इन लोगों ने जिला प्रशासन से इसके साफ सफाई के साथ डम्पिंग साइड को यंहा से बदलने की मांग की है।
इस गंदगी और प्रदूषण से परेशान हो चुके मुहल्ले के लोगों ने बताया कि शहर की सारी गंदगी को उठाकर हमारे यंहा इस जगह फेंक दिया जाता है और उसके बाद आग लगा दी जाती है जिस कारण धुंए के साथ इतना प्रदूषण फैल जाता है कि सांस लेना तक दूभर हो जाता है। उन्होंने बताया कि कभी-कभी आग इतनी नजदीक तक आ जाती है की हमे खुद फायर वरगेड को सुचना देनी पडी है।
यंही इसके पास रह रहे पुजारी जोकि इस स्थान में वर्षो से रह रहे है उनका भी यही कहना है कि इतनी प्राचीन नदी जिस पर पूजा अर्चना की जाती है पर वंहा जाना तो दूर इस तरफ देखने तक को मन नहीं करता है इतना कर गंद पड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि जिस जगह पर यह गंदगी फैलाई जाती है उसके साथ ही पौराणिक मन्दिर भी बना हुआ पर ऐसी गंदगी को देखकर कुछ भी करने को मन नहीं करता है। मंदिर के पुजारी इस जगह को साफ सुथरा बनाये जाने की माँग कर रहे है।