चम्बा/भरमौर ! शुरुआती दौर में साधारण तौर से देखने को मिल रहा था कि समूचे चम्बा जिले में मौसम इस बार किसानो और बागवानों के लिए ख़ुशी की बाहर लेकर आने वाला है ।लेकिन बीच में मौसम ने कुछ ऐसी करवट ली कि किसानो द्वारा बीजी गई मक्की की फसल बिन बारिश के तो तबाह हो ही गई। वही बागवान भी अपनी सेब की फसल को लेकर निराश ही दिखे। इस सूखे के चलते मक्की की फसल,देसी राजमाह,और पहाडी क्षेत्रों में बीजी जाने वाली फसले तो तबाह हो गई। वंही सेब के पौधों में भी बिन बारिश के कारण कई तरह की बीमारियां लग चुकी है, जिसके कारण बागवान भी काफी निराश हैं। इस मौसम की बेरुखी और बिन बारिश के चलते सेब के अधिकतर पौधों पर अजीब किसम की बीमारियां ने अपना घर बना लिया है। जिन सेब के पोधो में थोड़े बहुत सेब लगे हुए है उनमे बीमारियों के साथ उनका साईज भी नहीं बन पा रहा है । साफ तौर से देखा जा सकता है की कई फलदार बगीचे जोकि आधे से ज्यादा बीमारी के कारण समाप्त हो चुके हैं , कुछ बचे हुए सेब के पौधे किसी न किसी बीमारी के कारण से सुखते जा रहे ।
जनजातीय क्षेत्र भरमौर की कुछ पंचायतें ऐसी है जंहा पर सबसे ज्यादा सूखे की मार पड़ी है। यंहा के स्थानीय लोगों ने बताया कि इस सूखे के कारण उनकी हरेक फसल तबाह हो चुकी है यंहा तक की सदियों पुराने पानी के पनिहारे भी सूख चुके है। ग्रामीणों ने प्रदेश सरकार व वनमंत्री से गुहार लगाई है कि इन पंचायतो को सूखाग्रस्त पंचायतें घोषित की जाए, और आने बाले समय मे चारे का प्रावधान भी करवाएं।