शिमला ! नई शिक्षा नीति से मिलेंगे दूरगामी परिणाम – त्रिलोक जम्वाल !

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फाइल चित्र
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शिमला ! भाजपा प्रदेश महामंत्री त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति से मिलेंगे दूरगामी परिणाम, भाजपा नेता ने इस नीति को रोजगार परक बताया। भाजपा प्रदेश महामंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति स्वरोजगार की दृष्टि से दूरगामी परिणाम देगी।

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उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा मूूल रूप से तीन से चार साल पैटर्न पर आयोजित होगी। प्रथम वर्ष की पढ़ाई का एक वर्ष का सर्टिफिकेट कोर्स होगा। दूसरे वर्ष डिप्लोमा कोर्स, तीसरे वर्ष पढा़ई पूर्ण होने पर डिग्री प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि चौथे वर्ष में किसी विषय या उद्देश्य की पूर्ति के लिए विशेष अध्ययन की व्यवस्था रहेगी। त्रिलोक जम्वाल ने बताया कि इस शिक्षा व्यवस्था में प्रत्येक वर्ष छात्र कालेज छोड़ सकता है और मल्टी एंट्री और एग्जिट के तहत फिर से प्रवेश ले सकता है। उन्होंने कहा कि व्यवसायिक शिक्षा के अंतर्गत विद्यार्थी कक्षा छह से अपनी रुचि और योग्यता के अनुसार व्यवसायिक विषय का चयन कर सकेंगे। जिससे किशोर अवस्था से ही विद्यार्थी स्वरोजगार की दिशा में अपनी सोच विकसित कर सकेगा।

भाजपा महामंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति में कोई भेदभाव नहीं है, नई शिक्षा नीति नए भारत की नींव रखेगी, भेड़चाल खत्म होगी। उन्होंने कहा बच्चों में सीखने की ललक बढ़े, इसलिए स्थानीय भाषा पर फोकस किया। पांचवीं तक बच्चे अपनी भाषा में पढ़ाई करेंगे। उन्होंने कहा कि हमें विद्यार्थियों को ग्लोबल सिटीजन बनाना है, लेकिन अपनी जड़ों से भी जुड़े रहना है। उन्होंने कहा हमारा एजुकेशन सिस्टम वर्षों से पुराने ढर्रे पर चल रहा था जिसके कारण नई सोच, नई ऊर्जा को बढ़ावा नहीं मिल सका। नई शिक्षा नीति का औचित्य बताते हुए त्रिलोक जम्वाल ने कहा कि बच्चों में कभी डॉक्टर, कभी वकील, कभी इंजीनियर बनाने की होड़ लगी थी। दिलचस्पी, क्षमता और मांग की मैपिंग के बिना इस होड़ से छात्रों को बाहर निकालना जरूरी था।

उन्होंने कहा कि हर देश अपनी शिक्षा व्यस्था को अपने देश के संस्कारों को जोड़ते हुए आगे बढ़ता है।  नई शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत की बुनियाद तैयार करेगी। युवाओं को जिस तरह के एजुकेशन की जरूरत है, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इन बातों पर विशेष ध्यान दिया गया है। हर विद्यार्थी को यह अवसर मिलना ही चाहिए कि वो अपने पैशन को फॉलो करे। वो अपनी सुविधा और जरूरत के हिसाब से किसी डिग्री या कोर्स को फॉलो कर सके और अगर उसका मन करे तो वो छोड़ भी सके। अभी तक जो हमारी शिक्षा व्यवस्था है, उसमें क्या करना है पर फोकस रहा है। जबकि इस शिक्षा नीति में सोचना कैसे है पर बल दिया जा रहा है।

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