शिमला ! शिक्षा, विधि एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने आज यहां वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शिमला शहर के लगभग 100 बुद्धिजीवियों के साथ हिमाचल प्रदेश में आर्थिकी तथा लाॅकडाउन के बाद की स्थिति के लिए सुझाव आमंत्रित किए एवं प्राप्त सुझावों पर विचार-विमर्श किया।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि विश्व के विकसित तथा शक्तिशाली राष्ट्र के मुकाबले भारत देश एवं प्रदेश ने कोरोना वायरस से डटकर मुकाबला किया है। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के चलते प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में आधारभूत संरचना को सुदृढ़ किया गया है ताकि इस महामारी को परास्त किया जा सके।
उन्होंने बताया कि लाॅकडाउन के दौरान स्कूल के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा डिजिटल एजुकेशन के माध्यम से बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया गया, जिसके माध्यम से प्रदेश के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देशानुसार अनलाॅक-1 के तहत शिक्षण संस्थानों को खोलने का प्रावधान है।
इस अवसर पर वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शिक्षा मंत्री ने उपस्थित लोगों से सुझाव आमंत्रित किए जिसमें एडवोकेट जनरल अशोक शर्मा ने बताया कि अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार आगे के कदम उठाए ताकि आर्थिकी को सुदृढ़ किया जाए एवं पर्यटन के क्षेत्र में हुए नुकसान को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए जाए ताकि क्षेत्र को आगे बढ़ाया जा सके।
आईजीएमसी के एम.एस. जनक राज ने अपने सुझाव में बताया कि प्राईमरी स्तर के बच्चों को घर पर ही शिक्षा देने का प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि छोटे बच्चे इस वायरस से प्रभावित न हो। उन्होंने बताया कि 1 जून से बसें और टैक्सियां शुरू हो जाएगी, जिससे हम सबको सामाजिक दूरी, साफ-सफाई, बार-बार हाथ धोना, सैनेटाइजर का इस्तेमाल करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि स्कूलों में सामाजिक दूरी को बनाएं रखने के लिए कक्षाओं में विभिन्न सेक्शन बनाने की आवश्यकता है।
हिमाचल प्रदेश उच्च शिक्षा के अध्यक्ष सुनिल गुप्ता ने बताया कि शिक्षण संस्थानों को सबसे अंत में शुरू किया जाना चाहिए ताकि बच्चों में संक्रमण न फैले। उन्होंने बताया कि आॅनलाइन और डिजिटल एजुकेशन के माध्यम पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है।