करसोग । आजीविका का मुख्य स्त्रोत बना रेशम का व्यवसाय – जगदीश चंद्र !

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करसोग । कच्चा रेशम बनाने के लिये रेशम के कीटों का पालन रेशम उत्पादन (Sericulture) या ‘रेशमकीट पालन’ कहलाता है। विश्व में रेशम का प्रचलन सर्वप्रथम चीन में हुआ था| चीन प्राकृतिक रेशम उत्पादन में विश्व में पहले नम्बर पर है इसके बाद भारत का नंबर आता है| भारत में हर प्रजाति का रेशम पैदा किया जाता है |कच्चा रेशम बनाने के लिये रेशम के कीटों का पालन रेशम उत्पादन (Sericulture) या ‘रेशमकीट पालन’ कहलाता है। विश्व में रेशम का प्रचलन सर्वप्रथम चीन में हुआ था| चीन प्राकृतिक रेशम उत्पादन में विश्व में पहले नम्बर पर है इसके बाद भारत का नंबर आता है| भारत में हर प्रजाति का रेशम पैदा किया जाता है |

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आज हम बात करेंगे करसोग मंडल के रेशम विभाग द्वारा दी गई व्यवसायिक जानकारी हमारे पोर्टल के माध्यम से प्रचार रेशम विभाग करसोग के जगदीश चंद शर्मा जोकि इस समय करसोग रेशम विभाग में कार्यरत हैं जगदीश चंद्र शर्मा का कहना है कि बेरोजगार युवाओं को रेशम का व्यवसाय करना चाहिए तथा बेरोजगार व्यक्तियों के लिए यह उत्तम कार्य है क्योंकि रेशम मात्र 25 या 30 दिनों में बनकर तैयार हो जाता है जिसके मार्केट वैल्यू बहुत ज्यादा है।

रेशमअधिकारी करसोग जगदीश चंद्र शर्मा का कहना है कि बेरोजगारों को रेशम का व्यवसाय करना चाहिए क्योंकि यह व्यवसाय भी आमदनी का अच्छा स्त्रोत हो सकता है तथा अपनी आजीविका को भी कमाने में यह व्यवसाय अच्छा है और कहा कि रेशम की किट हम साल के दो बार देते हैं जैसे मार्च – अप्रैल का महीना तथा बरसात के मौसम में इन कीटों का पालन करके हम जनमानस को दे देते हैं तथा बेरोजगार लोग इन रेशम के कीड़ों को अपने घरों में रखकर 22 या 25 दिन के अंदर रेशम का उत्पादन कर लेते हैं और बेरोजगार लोगों के लिए यह एक उत्तम व फायदेमंद कार्य है यह अपील भी की गई की अधिक से अधिक बेरोजगार लोगों को इस व्यवसाय को बढ़ाना चाहिए और स्वदेशी बनना चाहिए ।

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