शिमला ! सरकार के निरंतर अपने आदेशों में बदलाव पर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार को घेरा !

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शिमला ! हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के बीच सरकार निरंतर अपने आदेशों में बदलाव कर रही है। इसी बीच सरकार कई फैसलों पर केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स को भी नहीं मान रही और कुछ बेतुके आदेश देकर 24 घंटे बाद वापस ले रही है। ऐसा ही एक आदेश में सरकार ने पास किया था जिसमें कर्फ्यू के दौरान 6 घंटे रिलीफ और ठेके खोलने की बात कही गई थी। अब सरकार ने इन दोनों फैसलों को वापस ले लिया है। लेकिन इस पर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।

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अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार ने बीत्ते रोज़ दो फ़ैसले लिए जिन्हें विरोध के बाद सरकार को पलटना पड़ा। कोरोना के दौर में सरकार ऐसी किरकरी करवाएगी ऐसी उम्मीद ना थी। आम जनता को ही लगा कि सरकार लाहपरवाही से काम कर रही है। देश के प्रधानमंत्री ने कहा “जान है तो जहान है “ हाथ जोड़ कर अपील की घर पर रहें। मगर जयराम सरकार ने आधा दिन कर्फ़्यू में ढील दे दी। साथ लगते शराब को आवश्यक चीजों की सूची में डाल दिया।

सवाल उठता है की सरकार के सहलाकर कान हैं? कौन सरकार से ऐसे फ़ैसले करवाता है। प्रदेश में मंदिर बंद, स्कूल बंद, दफ़्तर बंद, मगर ठेके खुले रखने की अधिसूचना ने हाहाकार मचा दिया। नतीजन चंद घंटों में ही फ़ैसला रद्द करना पड़ा। ख़ैर शराब के फ़ैसले तो लगातार अटपटे तरीक़े से आ रहे हैं। पहले शराब सस्ती बेचने की बात आई, फिर रात दो बजे तक बेचने की बात आई। अब कोरोना में दवा के साथ दारू आवश्यक घोषित करते हुए, सुबह 7 बजे ठेके खोलने का तुग़लकी ऐलान जारी हो गया।

छलकाए जाम न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए। यहां शराब को लेकर डीसी कुल्लू और हमीरपुर की अधिसूचनाएं सलंगित हैं। उधर कर्फ़्यू की समय सीमा घटाने को तो जनता ने ही नाकार दिया, आख़िर जीने-मरने का सवाल है। प्रशासन का भी इससे मनोबल गिरा। अगर लॉकडाउन से एक कदम आगे बढ़ के कर्फ़्यू लगाया तो उस की मर्यादा भी रखी जाए। कर्फ़्यू मज़ाक़ नहीं है, कौन सा कर्फ़्यू ऐसा होता है जो सुबह सात से दोपहर 1 बजे तक खुला रहता है। पुलिस एवं प्रशासन के प्रयासों को एक झटके में रोंद दिया।

बहरहाल आज भी मसला उन लोगों का बना हुआ है जो प्रदेश के भीतर और बाहिर नौकरियों को गए थे, मगर फंसे हुए है। कोई पुख़्ता रणनीति नहीं बनी है। सरकारें होती ही मुश्किल में मदद के लिए है। उत्तरप्रदेश की सरकार ने दिल्ली में दफ़्तर बनाकर मदद की पेशकश की है। हमारे तो बद्दी-बरोटीवाला से भी घर नहीं पहुंच पा रहे। पड़ोसी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से बात कर समस्य का हाल निकालना चाहिए। हम राजनीति नहीं चाहते, मगर यह ज़रूर चाहते हैं कि फ़ैसले विवेक से हों।

याद रहे हम 4 मार्च को विधानसभा में कोरोना पर स्थगन प्रस्ताव लाए थे, सरकार ने चर्चा नही की मगर 19 दिन बाद विधानसभा बंद करनी पड़ी। हम तो वेंटिलेटेर, मास्क, सेनिटाएज़र के प्रबंधों की ही तो बात कर रहे थे। हमने कहा था कि तिब्बतियों पर नज़र रखना, पहली मौत बहीं हुई। ख़ैर सरकार ने कर्फ़्यू और शराब से जुड़े दोनो फ़ैसलों पर यू टर्न मार दिया है। मगर आपसे आग्रह है घर पर रहें और सुरक्षित रहें।

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