चम्बा ! दूधेश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग पर आज भी गिरती है दूध की धाराएं !

0
3141
- विज्ञापन (Article Top Ad) -

चम्बा , 02 सितम्बर [ के एस प्रेमी ! हिमाचल प्रदेश का जिला चम्बा अपनी समृद्ध संस्कृति अपनी कला और यहाँ के पर्यटन स्थलों के लिए विश्व भर मैं प्रसिद्ध है। वही जिला चम्बा अपने धर्मिक स्थलों क लिए भी विश्व क मानचित्र पर उभरा हुआ है। यहां पर अनेकों ऐसे धार्मिक स्थल है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का काम करते है। लेकिन अभी भी कुछ एक ऐसे धार्मिक स्थल है जो दुनियां कि नजरों से छिपे हुए है। ऐसा ही एक धार्मिक स्थल हिमाचल प्रदेश के जिला चम्बा के भरमौर नामक क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाली ग्राम पंचायत खुन्देल के अंतर्गत आता है। जिसे दूधेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।

- विज्ञापन (Article inline Ad) -

ये मंदिर कितना प्राचीन है ये इस मंदिर को देख कर ही पता चल जाता है। कहा जाता है कि ये मंदिर राजाओं महाराजाओं के काल से यहाँ पर स्थित है और इस मंदिर में शिव जी के शिवलिंग पर दूध कि धाराएं गिरती है जो अपने आप में ही अचंभित कर देने वाली बात है। इस बात में कितनी सच्चाई है जब यह जानने के लिए खबर हिमाचल से कि टीम इस पवित्र स्थल पर पहुंची तो देख कर हम भी आश्चर्यचकित रह गए।

पुराने वेदों और वहां के लोगों का कहना है कि यह मंदिर राजा मेरु वर्मन के काल से यहाँ पर स्थित है। इस मंदिर मैं शिव जी का सम्पूर्ण परिवार मौजूद है जिनपर ऊपर से दूध कि धाराएं गिरती देखी जा सकती है। कहाँ जाता है कि मंदिर के साथ में भी दूध कि धाराएं निकलती थी जिसमे नहाने और उसे पीने से किसी भी प्रकार के चरम रोग दूर हो जाते थे।

वहीँ जब मंदिर के पुजारी शरण दास शर्मा और स्थानीय निवासी अम्बिया राम से जब हमारे संवाददाता ने बात कि तो उन्होंने बताया कि उनके बुजुर्गों द्वारा जो जानकारी उन्हें दी गयी है वो बस उतना ही जानते है। उन्होंने बताया कि ये मंदिर बहुत ऐतिहासिक है, बुजुर्गों का कहना था कि राजा मेरु वर्मन को एक बार कुष्ठ रोग हो गया था तब राजा को स्वपन में भगवान् भोले नाथ ने राजा को उनके इस दिव्य स्थान के बारे में बताया और राजा से वहां जाने को कहा। राजा उस स्थान पर पहुंचे और उन्होंने वहां पर इस मंदिर का निर्माण करवाया और लगातार 16 दिन वही रहे और शिव भोले कि भक्ति और आशीर्वाद से वो स्वस्थ हो गए थे। तब से यह मंदिर यहाँ पर स्थित है।

उन्होंने बताया कि जब भी जन्माष्टमी से लेकर राधाष्टमी क बीच का जो समय होता है उस समय यहाँ पर भी पानी निकलना शुरू हो जाता है जब मणिमहेश में न्होण होता है तो इस स्थान पर भी अपने आप यहाँ पर गंगा प्रकट हो जाती है और श्रद्धालु यहाँ आकर पर्वी के दिन उस पानी में स्न्नान करते है और अपने शरीर की कई बीमारियों से निजात पाते है। उन्होंने बताया कि वैसे तो यहाँ पर बहुत से लोग आते है लेकिन अभी भी इस मंदिर के इतिहास और इसकी शक्ति क बारे में विश्व स्तर पर पहचान नहीं हो पाई है।

- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

पिछला लेखचम्बा ! सामाजिक संस्था गौ माता सेवा संगठन चम्बा द्वारा बेसहारा पशुओं के लिए बनाया जा रहा एक और गौ सदन !
अगला लेखशिमला ! राहत शिविरों में रह रहे आपदा प्रभावितों को किराए पर आवासीय सुविधा उपलब्ध करवाएगी प्रदेश सरकार : मुख्यमंत्री !