चम्बा , 24 अगस्त [ शिवानी ] ! भारत ने चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर अपना यान उतारकर इतिहास रच दिया है। चार साल पहले मिली विफलता से सबक लेते हुए भारत के वैज्ञानिकों ने इस बार चंद्रयान-3 को कुछ इस तरह तैयार किया था कि उसे सफलता मिलनी तय थी। 140 करोड़ भारतीयों की उम्मीदों, प्रार्थनाओं और दुआओं के साथ सधे कदमों से आगे बढ़ रहा यान का लैंडर मॉड्यूल विक्रम बुधवार की शाम 6:04 बजे चंद्रमा की सतह पर उतरने में सफल रहा।
अमेरिका, रूस और चीन के बाद चांद पर पहुंचने वाला भारत चौथा देश है। मगर, चंद्रमा के दुरूह और अभेद्य दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने वाला वह दुनिया का पहला देश है। इसरो की इस सफलता ने हर भारतीय को गर्व से भर दिया है। इसरो ने वो कर दिखाया है, जिसका सबको इंतजार था।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने सॉफ्ट लैंडिंग के आखिरी समय को 20 मिनट का खौफ करार दिया था। इन्हीं 20 मिनट में भारत को इतिहास रचना था। शाम 5.47 बजे धड़कनें थामने वाला यह लम्हा शुरू हुआ।
देशभर में टीवी के सामने बैठे करोड़ों लोग सांसें थामे इस अविस्मरणीय क्षण का गवाह बनने का इंतजार कर रहे थे। चांद की सतह की तरफ लैंडर के बढ़ते एक-एक कदम के साथ लोगों की धड़कनें बढ़ रही थीं। आखिरकार तनाव के 20 मिनट खत्म हुए और विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही वैज्ञानिकों समेत पूरा देश खुशी से झूम उठा।
इसी को लेकर वीरवार को चम्बा मुख्यालय के बाज़ार में व्यापारियों के द्वारा हलवा बांट कर अपनी खुशी का इजहार किया गया और भारत माता की जय, वन्देमातरम् के बाज़ार को देशभक्ति के सरोवर मे भर दिया।
इस मौके पर व्यापारी संदीप मल्होत्रा ने कहा की ऐसे दिन होते हैं जब इतिहास बनता है। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के साथ हमारे वैज्ञानिकों ने न केवल इतिहास रचा है, बल्कि भूगोल के विचार को भी नया रूप दिया है। इससे भारत गौरवान्वित हुआ है। ये सब कुछ भारत वैज्ञानिकों की दिन रात की मेहनत जिसका हम लोग जितना भी धन्यवाद करे वो कम है।