शिमला ! संयुक्त किसान मंच 5 अगस्त को आयोजित की गई ऐतिहासिक किसान आक्रोश रैली व सचिवालय घेराव के सफल आयोजन के लिए सभी किसानों व बागवानों को इसको सफल बनाने के लिए बधाई देता है और इस रैली के दबाव के चलते सरकार को पुनः संयुक्त किसान मंच द्वारा दिए गए 20 सूत्रीय मांगपत्र पर बैठक के लिए मजबूर होना पड़ा।
परन्तु सचिवालय से मुख्यमंत्री व मंत्रियों की अनुपस्थिति में इस बैठक में संयुक्त किसान मंच के सभी घटक संगठनों के 30 प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा सरकार की ओर से मुख्यसचिव, कृषि विभाग के सचिव, बागवानी विभाग के सचिव, एच पी एम सी के प्रबन्ध निदेशक तथा मार्केटिंग बोर्ड के प्रबंध निदेशक भी उपस्थित रहे। बैठक में 28 जुलाई को माननीय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता हुई बैठक में संयुक्त किसान मंच द्वारा दिए गए 20 सूत्रीय मांगपत्र पर पुनः चर्चा की गई।
परन्तु इस बैठक में अधिकारियों द्वारा चर्चा के दौरान किसी भी मांग को जमीनी स्तर पर अमल करने की बात नहीं कर पाए व सभी मांगो को लेकर केवल कोरे आश्वासन ही दिये गये। अधिकारी संयुक्त किसान मंच के प्रतिनिधमंडल द्वारा उठाये गए मुद्दों का कोई भी संतोषजनक उत्तर नही दे पाए और इन मांगों के अमल के लिए फिर से 10 दिन का और समय मांगा। *इसके बाद संयुक्त किसान मंच की बैठक आयोजित की गई तथा इसमे निर्णय लिया गया कि यदि सरकार 16 अगस्त तक इन मांगों को मानकर इन पर अमल नही करती तो 17 अगस्त से जेल भरो आंदोलन आरम्भ किया जाएगा।
बैठक में अधिकारियों के रवय्ये से स्पष्ट दिखाई दे रहा था कि सरकार किसानों व बागवानों की मांगों को लेकर बिल्कुल भी संजीदा नही है। 28 जुलाई को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में उन्होंने स्वयं स्वीकार किया था कि मांगपत्र में सभी 20 मांगे जायज़ है और सरकार इन पर शीघ्र अमल कर किसानों व बागवानों को राहत प्रदान करेगी। परन्तु एक सप्ताह बीतने के पश्चात किसी भी मांग पर अमल नही किया गया है।
संयुक्त किसान मंच के प्रतिनिधियों द्वारा पुरजोर मांग की गई कि कृषि व बागवानी के लिए इस्तेमाल होने वाले पैकेजिंग सामग्री जिसमे कार्टन व ट्रे शामिल हैं पर जीएसटी समाप्त किया जाए तथा जो सरकार ने फिलहाल 6 प्रतिशत जीएसटी वापिस करने का निर्णय लिया है उसकी प्रक्रिया को सरल बनाया जाए ताकि बागवानों को परेशानी न उठानी पड़े। सरकार द्वारा तय की गई प्रक्रिया अत्यंत जटिल है और इससे लाखों बागवानों को परेशानी होगी।
छोटा व सीमान्त बागवान को इसमे सबसे अधिक नुकसान पहुचेगा। बैठक में संयुक्त किसान मंच के प्रतिनिधियों द्वारा एक बार पुनः सरकार को कहा कि सरकार बाज़ार में कार्टन के दाम कम करे तथा कार्टन निर्माता को जीएसटी ई_वे बिल की उचित जांच पड़ताल कर उसे सरकार वापिस करे। इससे जीएसटी की चोरी पर भी रोक लगेगी और सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा। इसके साथ बागवानों को भी राहत मिलेगी।
इसके अतिरिक्त प्रतिनिधियों ने प्रदेश में सभी मंडियों में एचपीएमसी कानून, 2005 को सख्ती से लागू करने की मांग भी की। सरकार को अवगत करवाया गया कि एचपीएमसी व आढ़तियों व खरीददारों की मिलीभगत से प्रदेश के लाखों किसानों व बागवानों से हर वर्ष सैंकड़ों करोड़ रुपए की लूट की जा रही है। मंडियों में 20 रुपये से लेकर 150 रुपये प्रति पेटी की गैर कानूनी कटौती, लेबर, छूट, बैक चारजिज, ढाला आदि के नाम पर की जाती है। जबकि 20 किलो की पेटी की मजदूरी केवल 5 रुपये प्रति पेटी तय की गई है और कानून के अनुसार इसके अतिरिक्त कटौती किसान बागवान से नही की जा सकती है। इस पर सरकार का ढुलमुल रवैया है और स्टाफ की कमी का बहाना बनाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है।
इसके अतिरिक्त किसानों व बागवानों से शोघी व अन्य चैक पोस्ट पर ली जा रही गैर कानूनी मार्किट फीस पर रोक तथा इन चैक पोस्टों को बन्द करने की मांग पर भी बैठक में अधिकारी कोई भी संतोषजनक उतर नही दे पाए। इसके अतिरिक्त सेब व अन्य सभी कृषि उत्पाद वजन के हिसाब से बेचने के लिए बैठक में अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि किनौर की टापरी मण्डी में इसी वर्ष से वजन के हिसाब से सेब बेचना आरम्भ कर दिया जाएगा तथा धीरे धीरे सभी मंडियों में लागू किया जाएगा।
बैठक में मुख्यसचिव ने आश्वासन दिया कि कश्मीर की तर्ज ओर मण्डी मध्यस्थता योजना लागू करने व सेब पर आयात शुल्क 100 प्रतिशत करने के लिए सरकार केन्द्र सरकार से इस मुद्दे को उठाएगी।
इसके अतिरिक्त किसानों के द्वारा लिये गए कर्ज को माफ करने तथा कर्जा वसूली के नोटिस वापिस लेने की मांग पर मुख्यसचिव ने आश्वासन दिया कि कर्जा मुआफी की मांग को सरकार के समक्ष रखेंगे क्योंकि यह नीतिगत फैसला है जहां तक कर्जा वसूली के बैंक द्वारा जारी नोटिस पर रोक के लिए वह आदेश जारी करेंगे।
बैठक में मुख्यसचिव ने बताया कि अदानी व अन्य कंपनियों के सीए स्टोर में सेब खरीद के रेट तय करने तथा इनकी निगरानी के लिए नौणी विश्विद्यालय के उपकुलपति की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया है इसमे विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ बागवानों के प्रतिनिधि भी शामिल किए जायेंगे।
बैठक में मुख्यसचिव ने बताया कि मण्डी मध्यस्थता योजना में एचपीएमसी व हिमफैड द्वारा बागवानों से लिए गये सेब के बकाए के भुगतान के लिए राशि जारी कर दी गई है और अगले सप्ताह से सभी का भुगतान कर दिया जाएगा तथा भविष्य में एचपीएमसी व हिमफैड नकद में ही भुगतान करेगी तथा किसी को भी सेब के बकाया के एवज में सामान लेने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त 20 सूत्रीय मांगपत्र में शामिल अन्य मांगो पर भी चर्चा की गई जिस पर अधिकारियों द्वारा मात्र आश्वासन दिया गया है। मंच के प्रतिनिधियों द्वारा पुरजोर मांग की गई कि 20 सूत्रीय मांगपत्र को जमीनी स्तर पर तुरन्त लागू कर किसानों व बागवानों को राहत प्रदान करे। सरकार द्वारा केवल कोरी घोषणाओं से किसानों व बागवानों को कोई राहत नही मिलेगा।
मुख्यसचिव की बैठक के पश्चात संयुक्त किसान मंच की बैठक आयोजित की गई जिसमे सरकार के किसानों व बागवानों की मांगों को लेकर लचर रवय्ये पर हैरानी जताई गई और बावजूद इसके कि 28 जुलाई को मुख्यमंत्री द्वारा सभी मांगों को उचित मानने के बावजूद एक भी माँग को जमीनी स्तर पर नही उतारा गया है। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यदि सरकार 10 दिनों में इन मांगों व आश्वासनों पर अमल नहीं करती तो मंच अपने इस आंदोलन को और अधिक तेज करेगा तथा तब तक जारी रखेगा जबतक सभी मांगों पर सरकार अमल नहीं कर लेती।