चम्बा ! आज भी खुद में संजो के रखा है एक बेटी ने अपने पिता का हूनर !

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चम्बा ! मूर्तिकार पिता के हूनर को संजोए रखने के लिये चम्बा की बेटी ने जिम्मेदारी उठाई है। उन्होंने करीब 20-25 दिनों में माँ काली की दो मूर्तियां तैयार कर दी है। इसे माँ ज्वालाजी मंदिर से सुल्तानपुर वार्ड के माई का बाग और जुल्हाकड़ी मोहल्ला में माता की जोत के साथ रखा जाएगा।

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जिला मुख्यालय के साथ लगते मोहल्ला चमेशनी निवासी मूर्तिकार लता ने बताया कि उसने काली माता की मूर्तियां बनाने के लिए पराली, गुरिन्टी मिट्टी (लाल मिट्टी), प्लास्टर ऑफ पेरिस, कच्ची रस्सी और मलमल के कपड़े का इस्तेमाल किया है। अलग अलग रंगों से माँ काली की मूर्ति को सजाया गया है।

लता ने बताया कि श्रीराम लीला क्लब चम्बा के लिए कोरोना काल के दौरान रावण, मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले भी बनाये थे, उनके पिता श्रीराम लीला क्लब के बहुत पुराने सदस्य थे और बेहतरीन मूर्तिकार थे।

लता ने बताया कि जब उनके पिता पूरण चंद माँ काली की मूर्ति बनाते थे तो वह उनके साथ सहायता करती थी। इसी बीच इस कला की बारीकियों को पिता से सीखा। पिता के देहांत के बाद मूर्ति बनाने का काम बंद कर दिया था। लोग बार बार लता के पास आकर मूर्ति बनाने के लिए आग्रह करते थे। इसके बाद उसने पिता के हुनर को जिंदा रखने के लिए दोबरा से मूर्ति बनाने का फैसला लिया। जिसमें लता की माता जी, बड़ी बहन और छोटे भाई ने सहयोग किया।

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