चम्बा ! 70 वर्षीय कोरोना संक्रमित बुजुर्ग महिला 3 घंटे तड़पती रही मेडिकल कॉलेज के बाहर।

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चम्बा ! वैसे तो प्रदेश सरकार कोरोना को लेकर बड़े बड़े दावे करती नहीं थकती है पर चम्बा में एक ऐसा दिल दहला देने वाला मामला देखने को मिला कि जिसने चम्बा स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलकर रख दी है। यह मामला चम्बा से मात्र 18 किलोमीटर दूर साहू गांव का है। जंहा एक वृद्ध महिला जिसकी की उम्र करीब 70, साल ,तथा वह कोरोना पीड़ित भी है ,उक्त महिला को जिसको की चम्बा के साथ लगते साहू हस्पताल से चम्बा के मैडिकल कॉलेज लाया गया। पर हैरत की बात ये कि एंबुलेंस में कोरोना पीड़ित महिला तीन घंटों तक तड़पती रही पर उसकी सुध लेने कोई नही आया। मरीज के तमीरदारो के साथ 108, एम्बुलेंस फार्मासिस्ट ने भी अपने ही स्वास्थ्य प्रशासन को जमकर कोसा।

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सड़क के किनारे खड़ी यह वही एम्बुलेंस है जिसमे 70 साल की एक बजुर्ग महिला जो कि कोरोना से पीड़ित तड़फ रही है पर पिछले तीन घंटो से इंतजार के बाद भी इस गरीब परिवार की कोई सुध लेने नहीं आया। अपनी माँ को तीन घंटों तक सड़क के बीच तड़पता देख इनके बच्चो का गुस्सा सातवें आसमान पर था गुस्से से कहने लगे कि तीन घंटों से हमारा मरीज इतना सीरियस है पर यंहा पर कोई पूछने वाला कोई नहीं है और हम लोग एम्बुलेंस में सड़क के बीच इस इंतजार में है कि कोई तो आये और हमारे मरीज को ले जाये। आंखो में माँ की ममता लिए इन लोगों ने कहा कि अगर इस बीच हमारे मरीज को कुछ हो जाता है तो इसका जिम्मेवार कौन होगा।

अपनी जिम्मेवारी को बखूबी निभा रही 108,में तैनात फार्मासिस्ट भी इतने इंताजर के बाद कोई नहीं आने पर भड़क उठी। उन्होंने बताया कि इस मरीज को साहू से रैफर किया गया है और इसका ऑक्सीजन लेवल 53 को जा रहा है। हम लोग यंहा पर पोने तीन बजे से आये हुए है पर इतना समय बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई नहीं आया। उन्होंने कहा कि आज सुबह भी ऐसा ही हुआ एक गर्भवती महिला को हम लोग लाये और वह महिला एक घंटे तक दर्द से कराती पर उसको भी कोई देखने को नहीं आया। इस फार्मासिस्ट महिला ने अपने विभाग पर अपना गुस्सा उतारते हुए कहा कि हम लोगों को कहा जाता है कि आपने यहां फोन करना चाहिए था तो हमारा काम फोन करना नहीं है। उन्होंने कहा कि यह विभाग उनका है तो उन लोगों को इस बारे खुद ही फोन करना चाहिए। हमारा काम मरीजों को सही सलामत लाना है वह हम ठीक से कर रहे है।

वैसे यह मामला काफी चिंताजनक था और इसकी जानकारी हमें स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों से लेना बहुत ही जरुरी था पर स्वास्थ्य विभाग के सभी आला अधिकारी उपायुक्त कार्यालय में चल रही मीटिंग में व्यस्त थे लिहाजा हमारी टीम घंटों डीसी कार्यालय में उनका इंतजार करते रहे। आखिरकार मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य आये और इस बारे उनसे पूछा तो उन्होंने बजाए हमारे स्वाल के अपनी प्राथमिकताएं बताना शुरू कर दी। उन्होंने अपने जॉइनिंग से लेकर आज तक की सारी अचीवमेंट को गिनना शुरू कर दिया। उनको जब यह बताया गया कि इससे पहले भी ऐसी बरदाते हो चुकी है तो उन्होंने अपना पल्लू झाड़ते हुए सारा जखीरा एमएस पर डाल दिया। मेडिकल कॉलेज के एमएस से जब इस बारे पूछा तो वह सीधे ही दादागिरी करने पर उतारू हो गए और पत्रकारों से स्वाल करने में लग गए । आप हमे बताये कि हमारे पास साफ तौर से देखा जा सकता था कि मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य को इस मेडिकल कॉलेज में क्या चल रहा है कोई पता नहीं है और जब नोडल अधिकारी से इस बारे बात की जाये तो वह अपनी नाकामियों छिपाते छिपाते भड़क उठते है।

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