चम्बा ! महाभारत काल में पांडवो द्वारा निर्मित किया गया था एक अनछुआ शिव मंदिर !

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चम्बा ! हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की देव नगरी है जंहा पर प्राचीन से प्राचीन मंदिर देखने को मिल जायेगे और उनकी जनकारी करीब करीब सबको है पर कुछ अछूते मंदिर ऐसे भी जिनकी जानकारी वंहा के स्थानीय लोगों के इलावा कुछ एक लोगों को ही होगी बाकि शायद और किसी को हो।

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हम आपको एक ऐसे मंदिर को दिखाने जा रहे है जिसको कि पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस गांव में आकर खुद अपने हाथों से बनाया था वह भी एक ही रात में, जी हां है न अचम्भित कर देने वाली बात तो हम आपको द्वापर युग के उस दौर में लिए चलते है जब कौरव और पांडवों का युद्ध हुआ और पांडव अपना सब कुछ हारने के बाद कोरवों ने उन्हें 14 वर्षो के लिए अज्ञातवास वन में भेज दिया था।

इस दरमियान पांडवों को मिले अज्ञातवास के दौरान यह पांडव अपने समस्त परिवार के साथ पुरे देश में भटकते-भटकते हुए कुछ समय के लिए चम्बा भी आये थे और एक जगह चम्बा के साथ लगते गांव राजनगर में तो दूसरी जगह झुलाड़ा में आकर ठहरे थे। इस बीच वह सारा दिन जंगलों में छुपे रहते थे पर रात होने पर यह देवी देवताओं की प्रतिमाएं बनाने के साथ यह पांडव मंदिर भी बनाया करते थे ताकि इतिहास के पन्ने जब भी खुले तो उनको लोग अवश्य याद करे।

ऐसा ही एक मंदिर जोकि आज भी चम्बा में माजूद है। पांडवों द्वारा बनाये गए इस शिव मन्दिर मे अधिकतर बड़ी-बड़ी शिलाओं का प्रयोग कर इसे बनाया गया है।चम्बा जिले के अंतर्गत पड़ने वाला यह वही शिव मंदिर है जिसे अज्ञातवास के दौरान पांचो पांडवो ने बनाया था वह भी एक रात के भीतर। माना जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांचो पांडव अपनी माता कुंती और पत्नी द्रोपदी को लेकर जगह जगह घुमने के बाद चम्बा जैसे दुर्गम स्थान में भी आये थे।

इस बात का प्रमाण उनके द्वारा जिले के भिन्न भिन्न स्थानों में निर्मित वह शिव मंदिर है जिनको की इन बीर योद्धाओ ने केवल एक ही रात में निर्मित कर डाला था। हालंकि इसके कोई ठोस लिखित प्रमाण तो नहीं है पर आज भी बजुर्गों के मुह से सुना जा सकता है कि जब पांडव कोरवो से जुए में अपना इन्द्रप्रस्त हार गए तो कोरवो ने उनको 14 वर्षो का अज्ञात वास दिया था। ऐसी दौरान यह पांडव चम्बा में भी आये थे।

लोगों ने बताया कि अज्ञातवास के दौरान वह लोग दिन के समय तो बाहर नहीं निकला करते थे पर रात को वह जिस जगह भी रहते थे वंहा पर एक शिव मंदिर का अवश्य निर्माण किया करते थे। इन बजुर्गबार ने बताया कि हमारे जो परवेज थे उन्होंने भी बताया था कि यह मंदिर राजाओं के काल का बना हुआ है और इसे पांडवो ने ही बनाया था।

चम्बा मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर जंगल के मध्य बना यह शिव मंदिर जिसे पांडवों ने अपने मिले अज्ञातवास के दौरान एक ही रात में निर्मित कर डाला था। हलांकि इस मंदिर की जानकारी वंहा के स्थानीय लोगों को तो इतनी नहीं है पर अपने पूर्वजों की सुनी सुनाई बातों को ही आधार मानते हुए यह गांव के लोग बताते है कि यह शिव मंदिर बहुत ही प्राचीन है और इसकी प्राचीनता के बारे हमारे पूर्वज ही बताया करते थे।

जब महाभारत के समय पांडवों को कौरवों द्वारा अज्ञातवास दिया गया था उस दरमियान यह सभी पांडव यंहा चम्बा आये थे। और उन्होंने ही इस शिव मंदिर का निर्माण किया है। वह भी एक ही रात में और फिर वह लोग उस जगह को छोड़कर यंहा से हमेसा के लिए कंही चले गए थे।

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