चम्बा ! आंगनबाड़ी वर्करज़ एवम हेल्परज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू की जिला कमेटी चम्बा यूनियन की राज्य कमेटी के आह्वान पर आंगनबाड़ी कर्मियों की प्री प्राइमरी में नियुक्ति व अन्य मांगों को लेकर नौ मार्च को प्रदेशव्यापी हड़ताल करेगी। इस दिन चम्बा जिला के आंगनबाड़ी कर्मी शिमला में विधानसभा के बाहर जोरदार प्रदर्शन में शामिल होंगे।
पिछले कल सरकार ने पेश लिए बजट में मात्र 500और 300रुपए कार्यकर्ता और सहायिका मानदेय में बढ़ोतरी की घोषणा की हैं। जबकि यूनियन ने हरियाणा की तर्ज पर 12000 रूपए करने की मांग कि थी ।यह बढौतरी नाम मात्र की है । महंगाई कई 100 गुना बढ़ गई है। ऐसे में कैसे परिवार का पालन पोषण चलेगा। जो कि चिंता का विषय है।
मुख्यमंत्री ने अपने बजट भाषण में आंगनबाड़ी केंद्रों को नर्सरी स्कूल का दर्जा देने व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को नर्सरी टीचर का बनाने के बारे में भी कोई चर्चा नहीं की है। इसलिए यूनियन के फैसले अनुसार 9 मार्च को विधानसभा पर प्रदर्शन होगा और हड़ताल भी होगी।
हड़ताल के संदर्भ में यूनियन ने निदेशक महिला एवम बाल विकास विभाग हिमाचल प्रदेश सरकार शिमला को हड़ताल नोटिस भेज दिया है। प्रोजेकटों में कर्मी केंद्रों को बन्द करके पूर्ण हड़ताल करेंगे।
यूनियन की जिला व प्रोजेक्ट नेताओं अंजू शर्मा, रेखा टंडन, बबीता ठाकुर, सिम्मी ,दीपशिखा,मीनाक्षी,रेखा देवी,ज्योति, रितेश वाला, आशा देवी, चम्पा देवी , बीना देवी ,किरपु देवी, मंजू शर्मा ,कंचन, शीला ,पुष्पा सरोज , कांता, विमला, बबली, राजकुमारी, किरण, मीनू, संदला, जोगिंद्रा, रविंद्रा, परी देवी, ने केंद्र व प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर आंगनबाड़ी वर्करज़ को प्री प्राइमरी कक्षाओं के लिए नियुक्त करने के आदेश जारी न किये गए तो आंगनबाड़ी कर्मी नौ मार्च को हड़ताल करके सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को बन्द करेंगे ।इस दिन हज़ारों आंगनबाड़ी कर्मी बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव करेंगे।
उन्होंने केवल आंगनबाड़ी कर्मियों को ही प्री प्राइमरी कक्षाओं के लिए नियुक्त करने की मांग की है क्योंकि छः वर्ष से कम उम्र के बच्चों की शिक्षा का कार्य पिछले पैंतालीस वर्षों से आंगनबाड़ी कर्मी ही कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि प्री प्राइमरी कक्षाओं को पढ़ाने की जिम्मेवारी आंगनबाड़ी कर्मियों को देने की घोषणा प्रदेश सरकार बजट सत्र में ही करे अन्यथा हज़ारों कर्मियों द्वारा बजट सत्र में ही सरकार की घेराबंदी की जाएगी।
उन्होंने नई शिक्षा नीति को वापिस लेने की मांग की है क्योंकि यह न केवल छात्र विरोधी है अपितु आइसीडीएस विरोधी भी है। नई शिक्षा नीति में वास्तव में आइसीडीएस के निजीकरण का छिपा हुआ एजेंडा है। इस से भविष्य में आंगनबाड़ी कर्मियों को रोज़गार से हाथ धोना पड़ेगा।
उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2021 के आइसीडीएस बजट में की गई 30 प्रतिशत की कटौती को आंगनबाड़ी कर्मियों के रोज़गार पर बड़ा हमला करार दिया है। उन्होंने वर्ष 2013 में हुए पेंतालिसवें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित करने की मांग की है।
उन्होंने मांग की है कि आंगनबाड़ी कर्मियों को हरियाणा की तर्ज़ पर वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाएं। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए तीन हज़ार रुपये पेंशन,दो लाख रुपये ग्रेच्युटी,मेडिकल व छुट्टियों की सुविधा लागू करने की मांग की है। उन्होंने कर्मियों की रिटायरमेंट उम्र 65 वर्ष करने,नई शिक्षा नीति 2020 को खत्म करने,मिनी आंगनबाड़ी कर्मियों को बराबर वेतन देने की मांग की है।
उन्होंने केंद्र सरकार को चेताया है कि वह आइसीडीएस के निजीकरण का ख्याली पुलाव बनाना बन्द करे। देश के अंदर चलने वाली सभी योजनाओं से देश की लगभग एक करोड़ महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है। उन्होंने हैरानी जताई है कि रोज़गार में लगी महिलाओं की सबसे ज़्यादा संख्या योजनाकर्मियों के रूप में है व यह सरकार उनका सबसे ज़्यादा आर्थिक शोषण कर रही है।
केंद्र सरकार लगातार इन योजनाओं को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है। इस से केंद्र सरकार की महिला सशक्तिकरण व नारी उत्थान के नारों की पोल खुल रही है। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों को वर्ष 2013 का नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत किये गए कार्य की बकाया राशि का भुगतान तुरन्त करने की मांग की है।
उन्होंने मांग की है कि प्री प्राइमरी कक्षाओं व नई शिक्षा नीति के तहत छोटे बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा केवल आंगनबाड़ी वर्करज़ को दिया जाए क्योंकि वे काफी प्रशिक्षित कर्मी हैं। इस संदर्भ में उनकी नियमित नियुक्ति की जाए तथा इसकी एवज़ में उनका वेतन बढाया जाए। यूनियन ने सभी कार्यकर्ताओं से बढ़चढ़ के हड़ताल में शामिल होने का आवाहन किया है