शिमला ! मेडिकल अथवा स्वास्थ्य डयूटी न लगाने की मांग को लेकर आंगनबाड़ी वर्करज़ ने ज्ञापन सौंपा !

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शिमला ! कोरोना महामारी के मध्यनजर हिम सुरक्षा अभियान व भविष्य में किसी भी प्रकार की मेडिकल अथवा स्वास्थ्य डयूटी न लगाने की मांग को लेकर आंगनबाड़ी वर्करज़ एवम हैल्परज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू का एक प्रतिनिधिमण्डल उपायुक्त शिमला से मिला व इस संदर्भ में उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। इस दौरान शिमला प्रोजेक्ट के सभी आंगनबाड़ी कर्मी उपायुक्त कार्यालय के बाहर इकट्ठा हो गए व इस डयूटी पर अपना कड़ा रोष ज़ाहिर किया। ये सभी कर्मी लगभग दो घण्टे तक उपायुक्त कार्यालय के बाहर रोष स्वरूप खड़े रहे। यूनियन ने उपायुक्त शिमला से मांग की है कि उनकी हिम सुरक्षा अभियान डयूटी को तुरन्त रद्द किया जाए व उन्हें जबरन इस डयूटी के लिए मजबूर न किया जाए। यूनियन ने चेताया है कि अगर आंगनबाड़ी कर्मियों से जबरन हिम सुरक्षा अभियान की डयूटी करवाई गई तो फिर प्रदेश भर के हज़ारों आंगनबाड़ी कर्मी सड़कों पर आकर आंदोलन करेंगे।

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आंगनबाड़ी वर्करज़ एवम हैल्परज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू की राज्य उपाध्यक्षा व जिला शिमला कोषाध्यक्ष हरदेई,शिमला प्रोजेक्ट की नेत्री मीनाक्षी देवी,सुनीता देवी,ललिता देवी,मीना देवी,संतोष कुमारी,रीटा देवी,राखी शर्मा व प्रोमिला देवी ने उपायुक्त शिमला से मांग की है कि कोरोना महामारी के मध्यनजर हिम सुरक्षा अभियान में आंगनबाड़ी कर्मियों की डयूटी को तुरन्त रद्द किया जाए क्योंकि वे स्वास्थ्य कर्मी नहीं हैं व उन्हें मेडिकल फील्ड का कोई ज्ञान नहीं है। इस डयूटी से जहां एक ओर मरीजों व आम जनता की जान को खतरा बढ़ सकता है वहीं पर बिना बीमा योजना व उचित सुरक्षा के अभाव में आंगनबाड़ी कर्मियों की जान भी खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने मांग की है कि आंगनबाड़ी कर्मियों को इस डयूटी से तुरन्त मुक्त किया जाए क्योंकि आंगनबाड़ी कर्मी न तो स्वास्थ्य कर्मी हैं और न ही वे इस कार्य में निपुण हैं। उन्हें इस कार्य का कोई उचित परीक्षण नहीं दिया गया है और न ही उनकी सेवा शर्तों में इस तरह के कार्यों के लिए उन्हें नियुक्त किया गया है। आंगनबाड़ी कर्मी छोटे बच्चों के लालन-पालन तथा गर्भवती व धातृ महिलाओं से सम्बंधित कार्यों के लिए नियुक्त किये गए हैं। वे योजनकर्मी हैं व एक विशेष योजना के क्रियान्वयन के प्रति ही वे जबावदेह हैं। उनकी कोरोना महामारी की मैपिंग,ईलाज व इस से जुड़े अन्य कार्यों में डयूटी लगाने का कोई औचित्य नहीं बनता है। यह इन कर्मियों के साथ अन्याय के साथ ही कोरोना मरीजों व जनता की सेहत से भी खिलवाड़ है।

उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार का रवैया हमेशा ही आंगनबाड़ी कर्मियों के साथ अन्यायपूर्ण रहा है। आंगनबाड़ी कर्मियों के प्रति प्रदेश सरकार की संवेदनहीनता इस बात से ज़ाहिर होती है कि अप्रैल 2020 में कोरोना काल में जब आंगनबाड़ी कर्मियों की मैपिंग व सर्वे डयूटी लगाई गई थी,उसका भी भुगतान आठ महीने बाद आज तक प्रदेश सरकार ने कर्मियों को नहीं किया है। कर्मियों को कई वर्ष बीत जाने के बावजूद भी नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के वर्ष 2013 से 2015 तक के टीकाकरण,पल्स पोलियो,गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन आदि मुहैय्या करने के कार्य का आज तक आर्थिक भुगतान नहीं हो पाया है। हिमाचल प्रदेश में इन कर्मियों से दर्जनों कार्य करवाने के बावजूद भी न तो इन्हें नियमित किया गया,न ही इनके लिए पेंशन,ग्रेच्युटी,स्वास्थ्य सुविधा आदि की कोई सुविधा है। हमे हरियाणा जैसे पड़ोसी राज्य के मुक़ाबले आधा वेतन भी नहीं दिया जाता है। इन कर्मियों को कोविड वारियर का भी कोई दर्जा नहीं दिया गया है और न ही इन कर्मियों के लिए कोई बीमा योजना का प्रबंध किया गया है। यह आंगनबाड़ी कर्मियों के प्रति सरकार की सम्वेदनहीनता को ही दर्शाता है। आइसीडीएस विभाग के अन्य कर्मचारी नियमित हैं परन्तु जब भी डयूटी की बात आती है तो केवल योजनकर्मी आंगनबाड़ी कर्मियों को ही इस विभाग द्वारा कार्य में लगाया जाता है। यह आइसीडीएस विभाग के आंगनबाड़ी कर्मियों के प्रति सौतेले रवैये को ही दर्शाता है। अतः हिम सुरक्षा अभियान में मेडिकल क्षेत्र से प्रशिक्षित कर्मियों को ही डयूटी में नियुक्त किया जाए व आंगनबाड़ी कर्मियों को तत्काल प्रभाव से इस डयूटी से मुक्त किया जाए। उन्होंने कहा है कि भविष्य में भी आंगनबाड़ी कर्मियों की किसी भी प्रकार के मेडिकल अथवा स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यक्रमों में डयूटी न लगाई जाए क्योंकि इन कार्यों के लिए सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग के प्रशिक्षित कर्मचारी पहले से ही नियुक्त किये गए हैं।

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