बद्दी ! नालागढ़़ ट्रक आपरेटर यूनियन ने गत दिनों सागर इस्पात कंपनी के ट्रकों के रोककर मारपीट करने वालों का अपनी संस्था से किसी भी प्रकार का वास्ता न होना करार दिया है। यूनियन का कहना है कि यह लोग यूनियन से जुडे हुए नहीं है और स्थानीय पुलिस का रवैया इस मामले में तथ्यों के विपरीत है। आज यहां जारी लिखित प्रेस नोट में यूनियन के अध्यक्ष विद्यारतन चौधरी ने बताया कि 23 नवम्बर को सागर इस्पात के मालिक सुरेंदर बादवा ने पुलिस में जो कुछ लोगों के खिलाफ कथित मारपीट की शिकायत पुलिस को दी थी उसमे कथित रूप से शामिल लोगों का ट्रक यूनियन से किसी तरह से कोई समबन्ध नहीं है। उन्होने कहा कि इस शिकायत में जानबुझ कर ट्रक यूनियन को बदनाम करने की नियत से झूठे आरोप लगाए गए है। ट्रक यूनियन का इतिहास रहा है की यूनियन या उनके पदाधिकारी ने कभी भी किसी प्रकार की हिंसा का कोई समर्थन नहीं किया है न ही भविष्य में करेंगे। इस केस में स्थान्यीय पुलिस का रवैया भी तथ्यों के विपरीत है उन्होंने भी इस मामले में यूनियन का पक्ष जाने बिना उद्योगपतियों के दवाब में ट्रक यूनियन को बदनाम करने का काम किया है जिसकी यूनियन पूरी तरह से निंदा करती है और खंडन करती है। पुलिस द्वारा इस मामले में माननीय उच्च न्यालाल्य के आदेश का उल्लेख भी भ्रमित करने वाला है। नालागढ ट्रक यूनियन तथा बददी बरोटीवाला नालागढ औद्योगिक संगठन में हमेशा सोहार्द पूर्ण सम्बन्ध रहे है तथा पिछले कई सालो से आपसी तालमेल से काम कर रहे है परन्तु कुछ लोग इन सम्बन्धो को खराब करने की कोशिश कर रहे है तथा दोनों में झूठे आरोपों से तनाव पैदा करने की कोशश कर रहे है।
वहीं दूसरी ओर बददी पुलिस ने कहा कि पुलिस तथ्यों व सबूतों के आधर पर कार्यवाही करती है। इसमें अगर कोई गलत करता है तो बख्शा नहीं जाएगा। वहीं दूसरी ओर कोर्ट के निर्णय के बाद आज औद्योगिक क्षेत्रों में हर कोने पर ट्रकों का जमावाडा लगा रहा ताकि बाहर से माल भरने वालों की घेराबंद की जा सके। हर चौक चौराहे डीआईसी व एसआईडीसी में सडक के दोनो ओर सुबह से ही खाली ट्रक खडे हो गए थे। इंडस्ट्रियल एरियास में पार्किंग की कमी के बाद आज ट्रक अपने कार्यालय में न होकर यहां खडे किए गए थे। कुछ कंपनी मालिकों ने बताया कि यह खाली ट्रक इसलिए यहां खडे किए गए थे ताकि अगर कोई बाहरी ट्रक यहां से माल भरे तो यहां नजर रखी जाए सके। इसके कारण यातायात में बहुत दिक्कतें आई और बददी पुलिस ने भी इनको हटाने का प्रयास नहीं किया। इसके कारण उद्योग जगत में भ्रम का माहौल रहा कि आज अचानक सैंकडों ट्रक उनके कारखानों के आगे बिना वजह क्यों खडे रहे। हालांकि ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया जिसमें किसी बाहरी ट्रक ने माल भरा हो और यूनियन ने इनको रोका हो।