हिमाचल मिड डे मील वर्करज़ यूनियन द्वारा अपनी मांगों को लेकर 26 नवम्बर को हड़ताल की जाएगी।

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सांकेतिक चित्र
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ऑल इंडिया मिड डे मील वर्करज़ फेडरेशन सम्बन्धित सीटू के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश मिड डे मील वर्करज़ यूनियन द्वारा अपनी मांगों को लेकर 26 नवम्बर को हड़ताल की जाएगी। इस दौरान प्रदेश भर के इक्कीस हज़ार मिड डे मील वर्करज़ डयूटी नहीं करेंगे तथा केंद्र व प्रदेश सरकार की वर्करज़ विरोधी नीतियों के खिलाफ आवाज़ मुखर करेंगे।

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हिमाचल प्रदेश मिड डे मील वर्करज़ यूनियन प्रदेशाध्यक्ष कांता महंत व महासचिव हिमी देवी ने कहा है कि केंद्र व प्रदेश सरकार लगातार मध्याह्न भोजन कर्मियों का शोषण कर रही है। उन्हें केवल दो हज़ार तीन सौ रुपये मासिक वेतन दिया जा रहा है। उन्हें कोई भी छुट्टी नही दी जाती है। उनके लिए ईपीएफ व मेडिकल सुविधा भी नहीं है। उनसे खाना बनाने के अलावा डाक,चपरासी,सफाई,झाड़ू,राशन ढुलाई,बैंक,जलवाहक आदि सभी प्रकार के कार्य करवाए जाते हैं। ये सभी प्रकार के कार्य मल्टी टास्क हैं परन्तु इसके बावजूद भी उन्हें मल्टी टास्क वर्करज़ की भर्तियों में प्राथमिकता नहीं दी जा रही है। उन्हें वर्ष 2013 के 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार नियमित कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया जा रहा है। हिमाचल उच्च न्यायालय के निर्णयानुसार उन्हें बारह महीने का वेतन नहीं दिया जा रहा है। उन्हें केवल दस महीने का वेतन दिया जा रहा है। पच्चीस बच्चों से कम संख्या होने पर उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है जिसके कारण हिमाचल प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में छः हज़ार सात सौ चालीस वर्करज़ की छंटनी हो चुकी है व उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। इसके चलते उनकी संख्या सत्ताईस हज़ार सात सौ चालीस से गिरकर इक्कीस हज़ार रह गयी है। उन्हें मिलने वाला मात्र दो हज़ार तीन सौ रुपये वेतन भी छः महीनों तक नहीं मिलता है। इस योजना में नब्बे प्रतिशत महिलाएं कार्य करती हैं परन्तु उन्हें प्रसूति अवकाश की सुविधा तक नहीं है।

उन्होंने मांग की है कि 45वें श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार मिड डे मील कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए व उन्हें नियमित किया जाए। उन्हें प्रदेश के न्यूनतम वेतन के आधार पर 8250 रुपये वेतन दिया जाए। उन्हें ईपीएफ,मेडिकल,छुट्टियों आदि सुविधा दी जाए। उन्हें रिटायरमेंट पर पेंशन व ग्रेच्युटी की सुविधा दी जाए। उन्हें छः महीने के वेतन सहित प्रसूति अवकाश की सुविधा दी जाए। मल्टी टास्क वर्करज़ के रूप में आंगनबाड़ी सुपरवाइज़र की तर्ज़ उन्हें ही नियुक्त किया जाए। पहाड़ी इलाक़ा होने की वजह से हिमाचल में मिड डे मील के लिए पच्चीस बच्चों की शर्त को हटाया जाए व हर स्कूल में कम से कम दो वर्कर हर हाल में नियुक्त किये जाएं। हिमाचल उच्च न्यायालय के निर्णयानुसार उन्हें बारह महीने का वेतन दिया जाए।

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