शिमला ! प्रदेश हाईकोर्ट ने अधीनस्थ संबद्ध सेवा से जुड़ी परीक्षा टालने की याचिका को जनहित से जुड़ी न पाए जाने पर दस हजार रुपये कॉस्ट के साथ खारिज कर दिया। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश ज्योत्स्ना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि प्रार्थी के परिचय पत्र और मामले के तथ्यों से यह साबित नहीं होता कि मामला जनहित से जुड़ा है और प्रार्थी इस मामले को दायर करने में सक्षम है।
प्रार्थी हिमांशु ने याचिका दायर कर न्यायालय से गुहार लगाई थी कि 6 और 7 अगस्त को हिमाचल प्रदेश सब ऑर्डिनेट अलाइड सर्विसेज की परीक्षा हो रही है, उसे कोविड-19 के चलते जनहित में किसी और तारीख को तय किया जाए। प्रार्थी ने दलील दी थी कि वह हिमाचल का रहने वाला है। उसने जिन उम्मीदवारों के लिए याचिका दायर की है वे हालांकि परीक्षा में बैठने के लिए पात्रता रखते हैं, मगर आयोग से विवाद के कारण अपना नाम व पता नहीं बता सकते।
न्यायालय प्रार्थी की इस दलील से संतुष्ट नही हुआ। न्यायालय ने कहा कि जो उम्मीदवार परीक्षा में बैठने वाले हैं, वे अच्छे स्तर की शैक्षणिक योग्यता रखते हैं। वे खुद हाईकोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल करने में सक्षम हैं। न्यायालय ने कॉस्ट की राशि 2 सितंबर तक हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन के समक्ष जमा करने के आदेश दिए हैं।