शिमला ! कांग्रेस विधायक दल की आपात बैठक मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में हुई !

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शिमला ! कांग्रेस विधायक दल की एक आपात बैठक प्रतिपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में हिमाचल प्रदेश विधान सभा के विपक्ष लाँज में हुई। कांग्रेस के सभी विधायको ने एक सुर में हिमाचल प्रदेश की जय राम सरकार को घोटालों की सरकार करार देते हुए व मुख्य मंत्री को प्रबंधन में नाकाम मानते हुए पद से तत्काल इस्तीफा देने की मांग की ।

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बैठक में कांग्रेस के पूर्व मुख्य मंत्री वीरभद्र सिंह सहित सभी विधायक मौजूद रहे।

बैठक में दलील दी गई कि जय राम सरकार सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है। सदी के सबसे बड़े मानवता पर आए संकट के दौरान स्वास्थ्य विभाग में लगातार हो रहे घोटाले और खास तौर पर घटिया दवाइयां, पी.पी.ई. किट्स, वैंटिलेटर, सैनिटाइजर और अन्य खरीद में घोटाले सार्वजनिक हुए तथा जिस प्रकरण के चलते पार्टी अध्यक्ष, राजीव बिन्दल को हटाया गया उससे प्रदेश पूरी तरह शर्मसार हुआ है। इस मसले में देशद्रोह की धाराओं के तहत मामला दर्ज करके उच्च स्तरीय जांच को अंजाम दिया जाना चाहिए। यही नहीं भाजपा के अढ़ाई साल के कार्यकाल के दौरान जितनी भी खरीद हुई हैं उसका ‘श्वेत पत्र’ जारी किया जाए। कोरोना काल की तमाम खरीद का विशेष ऑडिट करवाकर जनता के समक्ष रखा जाए।

विधायक दल का मानना है कि राज्य की जय राम सरकार ने इस दौरान बहुत ही लापरवाही से काम किया है और आम-आदमी की सेवा करने के राजधर्म को निभाने में यह सरकार पूरी तरह विफल हुई है। मौजूदा सरकार की विश्वसनीयता समाप्त हो चुकी है इसलिए कांग्रेस विधायक दल ने प्रदेश कांग्रेस से भी आग्रह किया है कि वे भी इसके विरुद्ध आंदोलन चलाकर इस सरकार को बेनकाब करे। बैठक करीब दो घंटे तक चली इसमें श्री वीरभद्र सिंह सहित श्रीमती आशा कुमारी, श्री राम लाल ठाकुर, श्री सुक्खविन्द्र सिंह सुक्खु, श्री हर्षवर्धन चौहान, श्री जगत सिंह नेगी के अलावा कई वरिष्ठ विधायकों ने अपनी राय रखी।

कोरोना काल में इस बैठक में सरकार को घेरने का पूरा रोडमैप तैयार करते हुए कांग्रेस विधायक दल ने अपनी मांग दोहराई कि हिमाचल प्रदेश में विधान सभा के विशेष सत्र की तत्काल जरूरत है ताकि प्रदेश में जो काले कारनामे कोरोना काल में हुए हैं और खासतौर पर जिस तरीके से इंदिरा गांधी मैडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को बदला गया, एस.डी.एम. नदौन को बदला गया और स्वास्थ्य निदेशक की गिरफ्तारी हुई, कोरोना काल में यह देशद्रोह के साथ जुड़े मसले हैं इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए इस सरकार को घोर विफल सरकार करार देते हुए पार्टी ने यह कहा कि यह सरकार जनमानस के लिए खतरा बनी हुई है और इसके कारण लोकतंत्र पूरी तरह समाप्त हो चुका है। अब इस सरकार से कोई उम्मीद करना बाकी नहीं बची है। इस वैश्विक महामारी के समय में भी इस सरकार द्वारा न तो किसी के बिजली का बिल माफ किया गया, न पानी का बिल और न ही किसी बच्चे की फीस माफ की गई। सारा ध्यान घोटालों को अंजाम देने में बीत गया और अब मंहगाई अपनी चरम पर है। जहां पैट्रोल-डीजल, गैस, राशन की कीमतें बढ़ाई गई वहीं पर राशन की स्कीम से जनमानस को मिल रहे फायदों को भी छिनने की कोशिश की गई। राशन स्कीम में सब्सिडी कम करना या लोगों की संख्या कम करना, जैसे घिनौने काम इस दौरान किए गए। कहां तो सरकार को चाहिए था कि वह इस काल में लोगों के घर-आंगन तक सुविधाएं पहुंचाती ऐसे सभी लोगों के खातों में पैसे डालती जो आयकर नहीं देते लेकिन सरकार लगातार अधिसूचनाएं जारी करती रही और जनता से फरेब का क्रम जारी रखा जाएगा।

इस सरकार द्वारा किसान-बागवान की कोई मदद नहीं की गई वहीं पर्यटन उद्योग नाकाम किया गया। उद्योगधंधों को पूरी तरह से चौपट कर दिया गया और छोटे व्यापारी कहराते रहे। लेकिन इस सरकार को किसी भी तबके पर तर्स नहीं आया। टैक्सी वाले, वेटर्ज, सुरक्षा कर्मचारी, नाई, धोबी, पुजारी, श्रमिक, दुकानदार इत्यादि लोगों की कोई मदद नहीं की गई बल्कि हजारों लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए और कई लोगों की गिरफ्तारियां की गई। पत्रकारों पर मामले दर्ज करने की कोशिश की गई ताकि सरकार की नाकामियां जनता तक न पहुंच जाए। पार्टी ने कहा यह सरकार केंद्र से कोई मदद हासिल नहीं कर पाई, न ही किसी रोडमैप पर काम किया, न ही खर्चों में कटौती की बात की और सिर्फ़ एक राजनीतिक हथियार के तौर पर विधायकों की विधायक निधि काटने का काम किया गया। जबकि सरकार को तमाम चेयरमैन, वाइस चेयरमैन हटाने चाहिए थे। विभागीय खर्चों में कटौती करनी चाहिए थी। जिस ढंग से इस दौरान प्रदेश में कारनामे हुए पार्टी ने उसका पूरा कच्चा चिट्ठा राज्यपाल के दरबार में भी रखने का फैसला लिया और दलील दी कि कोविड प्रबंधन में घोटालों के चलते कांग्रेस विधायक दल को अपना विरोध दर्ज करवाना जरूरी है। विधायक दल ने यह भी जानना चाहा कि मुख्य मंत्री यह स्पष्ट करें कि अगर स्वास्थ्य घोटाले में पार्टी अध्यक्ष जिम्मेवार है तो मुख्य मंत्री कैसे जिम्मेवार नहीं है? विभाग का प्रबंधन सीधा उनके हाथ में है। विभाग को पार्टी चला रही थी या सरकार चला रही थी? यह बात साफ होनी चाहिए इसलिए कांग्रेस विधायक दल ने कहा कि मुख्य मंत्री मंत्रिमंडल विस्तार, नये चेयरमैन बनाने के लारे-लप्पे की योजना को त्याग कर अपना इस्तीफा दें और यह भी स्पष्ट करें कि इस दौरान केंद्र ने राज्य को कुल कितने पैसे दिए हैं। उन्होंने कहा कि अब सरकार विभिन्न विभागों के खातों में पड़े 12 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रही है। हजारों करोड़ रुपये कर्ज़ लेने की योजना बनाने से पहले सरकार यह बताए कि 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज में हिमाचल प्रदेश को क्या हासिल हुआ?

इस बैठक में कोरोना के समय में अफसरशाही का बड़े पैमाने पर तबादला करना और मुख्य मंत्री के निजी सचिव को हटाने की भी चर्चा हुई। यह भी दलील दी गई कि मुख्य मंत्री जय राम ठाकुर ने ‘क्वारंटीन डैस्टिनेशन’ जैसी बातें राष्ट्रीय चैनलों पर कर हिमाचल प्रदेश की छवि को बेहद बड़ा आघात लगाया है। कहा गया कि इस दौरान जबकि प्रदेश में लॉकडाउन था,नशा माफिया, रेत माफिया, वन माफिया और हर तरह के माफिया हिमाचल प्रदेश सरकार की शह पर दनदना रहे थे और सबसे बड़ा स्वास्थ्य माफिया हिमाचल प्रदेश में अब पनप कर सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग में खरीद के दलाल हर तरफ दनदना रहे हैं। पार्टी ने कहा कि जहां पहले पत्र बम्ब ने बवाल मचाया था वहीं बाद में सी.एम.ओ. के माध्यम से दवाइयों की सवा सौ करोड़ रुपये की खरीद हिमाचल प्रदेश विधान सभा में सुनने को मिली। खरीद में हेरा-फेरी और उसके बाद आयुर्वेद विभाग में घोटाले से यह प्रदेश कहराता रहा और अब तो पी.पी.ई. किट्स, सैनिटाइजर, वैंटिलेटर खरीद ने हिमाचल प्रदेश की राजनीति को शर्मसार किया है। क्वारंटीन सैंटर्ज में कुप्रबंधन, अनियमित्तताएं और लोगों की मौतें इस दौरान मुद्दा बनी रही। कोविड फंड का दुरुपयोग कर उससे मोबाइल खरीदे जाते रहे। कोरोना योद्धाओं के वेतन काटे जाते रहे। इसके अतिरिक्त दर्ज़नों ऐसे मसले सामने आए जिनमें अमानवीय तरीके से लोगों से बर्ताव किया गया। इस दौरान अफसरशाही दनदनाती रही और लोकतंत्र को हाशिये पर धकेल दिया गया। ऐसे में जय राम ठाकुर को तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि यह कारनामे माफी के काबिल नहीं है।

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