शिमला ! काम न मिलने के कारण मजदूरों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया – संजय चौहान !

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शिमला ! वैश्विक महामारी कोविड19 के कारण देश मे जल्दबाजी व बिना सोचे समझे लागू किये गए लॉक डाउन व कर्फ्यू के कारण सबसे ज्यादा मजदूर वर्ग प्रभावित हुआ है। देश के विभिन्न हिस्सों में जो मजदूर रोजी रोटी की तलाश में काम करने के लिए गया था वह लॉक डाउन व कर्फ्यू के लगभग 2 महीने बीतने को जा रहे हैं उसको काम न मिलने के कारण उसके सामने आर्थिक व सामाजिक संकट खड़ा हो गया है। जिसके कारण वह मजबूरन अपने घरों के लिए पलायन करने के लिए विवश हो गया है। आज देश में लाखों मजदूर सरकार की बदइंतजामी व लचर व्यवस्था के कारण पैदल ही घरो की ओर चल दिया है और बड़े खेद से कहना पड़ता है कि इसके कारण आज सैकड़ो मजदूरो की दुर्घटनाओं, भुखमरी व थकान के कारण दर्दनाक मृत्यु हो गई है।

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केंद्र सरकार बार बार बयान दे रही है कि कोई भी मजदूर सड़क व रेलवे ट्रैक से पैदल न जाये और सरकार उनके लिए रेलगाड़ी का इंतजाम कर रही है। आज भी वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण जी ने देश के प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज का व्याख्यान करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने मजदूरों को घर पहुंचाने के पुख्ता इंतजाम किये हुए हैं और 1200 से 1500 रेलगाड़ियां रेलवे ने इन प्रवासी मजदूरों के लिए तैयार रखी है। इनका 85 प्रतिशत किराया केंद्र वहन करेगा और 15 प्रतिशत किराया सम्बंधित राज्य वहन करेगा। यदि इस प्रकार का इंतजाम सरकार ने किया है तो आखिर लाखों मजदूर आज देश के विभिन्न हिस्सों से सैंकड़ो किलोमीटर पैदल चलकर इस परेशानी की हालत में अपने घर जाने के लिए विवश क्यों हैं। इसका जवाब सरकार को देना चाहिए!

केंद्र सरकार व राज्य सरकारों व राज्यों सरकारो के बीच तालमेल न होने के कारण शायद ये सरकार के द्वारा बताए जा रहे इंतजाम जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं दे रहे हैं। आज हिमाचल प्रदेश में भी करीब 80000 प्रवासी मजदूरों ने अन्य राज्यों में अपने घर जाने के लिए सरकार के पास पंजीकरण करवाया है। इनमें अधिकांश मजदूर उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश आदि राज्यों से है और प्रदेश में औद्योगिक, निर्माण व अन्य क्षेत्रों में काम कर अपनी रोजी रोटी कमाते हैं। काम बंद होने के कारण आर्थिक व रोटी के संकट के चलते यह अपने घर जाने के लिए मजबूर हैं। सरकार के पास घर जाने के लिए पंजीकरण किए कई दिन बीतने के बावजूद सरकार द्वारा प्रबंध न किये जाने से अब इनको 2500 से 5000 रूपये अपनी जेब से खर्च कर स्वयं गाड़ी का इंतजाम कर घर जाना पड़ रहा हैं। आज बड़ी संख्या में प्रदेश के ही लोग प्रदेश के विभिन्न जिलों में मजदूरी व अन्य काम करने के लिए गए थे परन्तु लॉक डाउन व कर्फ्यू के कारण लंबे समय से काम न होने के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और रोटी की भी परेशानी हो गई है। अब अपने घर जाना चाहते हैं सरकार इनके घर जाने का कोई भी इंतजाम नहीं कर रही है और यह कर्ज लेकर हजारो रुपये ख़र्च कर अपने घर जाने के लिए गाड़ियों का इंतजाम करने के लिए मजबूर हैं।

भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) सरकार से मांग करती है कि जो भी प्रवासी मजदूर अपने घर जाना चाहता है कृपया इनकी कठिनाई व परेशानी की ओर ध्यान दे और इनके घर जाने के लिए व्यवस्था करें। इनके लिए अन्य राज्यों व प्रदेश के दूसरे जिला में जाने के लिए रेलगाड़ी व बस का इंतजाम किया जाए तथा इनके किराए व रास्ते मे खाने की व्यवस्था सरकार द्वारा कर इनको घर पहुंचाने की उचित व्यवस्था करे। ताकि इस विषम परिस्थिति से पैदा हुए संकट के कारण हो रही परेशानी से इन मजदूरों को कुछ राहत मिल सके व अपने परिवार के साथ रह सके।

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