कुल्लू ! कुल्लू की बंजार तहसील की गाड़ापारली पंचायत के अति-दुर्गम गाँव शाक्टी का कारदार लुदर चंद जो कि अपंग है और अपने पिता की मृत्यु के बाद अपने परिवार का मुखिया है बहुत ही बुरी परिस्थिति में जीवन गुजर वसर कर रहा है। लुदर चंद का अपना घर भी नहीं है। वो अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ गाँव के मंदिर में रहता है। अपंग होने की बजह से कोई काम भी ठीक से नहीं कर पाता है ।
शाक्टी गाँव की भौगोलिक परिस्थिति ऐसी है की न ही गाँव से बाहर आना जाना आसान है और न ही यहां किसी तरह का रोज़गार/स्वरोज़गार करना आसान है। शाक्टी गाँव की धार्मिक मान्यता पूरी सैंज घाटी में पर्सिद है और इलाके के देवता के आदेश के बिना लोग कोई फैसला नहीं लेते। पिता के देहांत के बाद कारदार की जिम्मेवारी लुदर चंद निभा रहे हैं । सरकारी योजनाओं की जानकारी के अभाव में लुदर चंद सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाए हैं। लूदर चंद सरकार से गुहार लगाते है कि उनकी इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द हो । प्रधान भागचंद ने कहा है कि सभी कागजात उच्च अधिकारी को भेज दिए गए है !