संधोल मंडी ! पिछले चार वर्षों से विवादों में चली आ रही जूनियर ऑफिस असिस्टेंट पोस्ट कोड 556 की भर्ती प्रक्रिया में नियमों की अस्पष्टता के कारण नौकरी से वंचित रहे हजारों युवाओं ने एक बार फिर अपनी OTR (वन टाइम रिलैक्सेशन ) की मांग को उठाते हुए प्रदेश के सभी जिलों में जिलाधीश के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए नियमों में राहत दिए जाने वाले उनके आश्वासन को याद दिलाने और उस पर अमल करने की मांग की है, युवाओं का कहना है कि अपनी मांग को लेकर दो महीने पहले कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के बाहर वह लोग 17 दिन तक शांतिपूर्ण धरने पर बैठे थे जिस पर सुजानपुर के विधायक श्री राजेंद्र राणा द्वारा उनकी इस मुद्दे पर तत्कालीन विधानसभा सत्र (13 दिसम्बर 2019) में किए गए प्रश्न पर जवाब देते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी ने यह आश्वासन देते हुए कहा था कि भर्ती प्रक्रिया में बची हुई 50% सीटों पर सभी उप श्रेणी को नियमों के तहत राहत देने की सरकार की मंशा है और बहुत जल्दी इसे नोटिफाई कर दिया जाएगा, परंतु दो महीने बीत जाने के बाद भी अभी तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है जिस कारण युवा अपने आप को बहुत ही लाचार और ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं ! युवाओं का कहना है कि मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए आश्वासन से उन्हें बहुत उम्मीदें हैं और आशा करते हैं कि मुख्यमंत्री द्वारा लिया गया फैसला सभी के हितों और भविष्य पक्ष में होगा l हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग द्वारा वर्ष 2016 में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट आईटी पोस्ट कोड 556 के तहत 1156 पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे जिन पर 2018 में संपूर्ण भर्ती प्रक्रिया संपन्न होने के पश्चात अंतिम समय में अस्पष्ट भर्ती नियमों का हवाला देते हुए लगभग 2400 उत्तीर्ण उम्मीदवारों को भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया था जिसके कारण यह भर्ती विवादों में फंस गई थी और लंबे समय तक माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन रही जिस पर 29 अगस्त 2019 को उच्च न्यायालय ने फैसला देते हुए 50% सीटों को नियमों की शर्तों के आधार पर भरे जाने के आदेश दिए थे तथा बची हुई बाकी 50% सीटों पर फैसला सरकार के पक्ष में छोड़ा था, जिस पर वंचित रहे सभी 2400 युवाओं की सरकार से मांग है कि वह अपने नियम 18 के तहत नियमों में राहत दिए जाने वाले अधिकार का प्रयोग करते हुए उनकी पात्रता को स्वीकार किया जाए !
युवाओं का कहना है कि मौजूदा भर्ती नियमों की अस्पष्टता और अनुचित मापदंडों की गलतियों का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है और बेवजह भर्ती को विवादों में फंसा कर उन्हें इससे वंचित किया गया है, इससे पहले भी नियमों की अस्पष्टता को स्वीकार करते हुए सरकार पुरानी भर्तियों मैं राहत जारी कर चुकी है तथा आगे के लिए प्रति नियमों में बदलाव करने की प्रक्रिया जारी है, परंतु सिर्फ इसी भर्ती में इस तरह के मापदंड लागू करना बहुत ही अन्याय पूर्ण है युवाओं का कहना है कि वह अपनी मांग को लेकर फिर से शांतिपूर्ण धरना करने के लिए तैयार हैं और अगर फिर भी उनके साथ न्याय नहीं हुआ तो आखरी रास्ते आमरण अनशन के रास्ते को अपनाएंगे !