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शिमला ! बागवानों और किसानों की आजीविका पर छाये संकट के बादल फूल एवं उत्पादन संघ ने सरकार से उठाई उचित कदम उठाने की मांग ! वही फूल एवं फल उत्पादन संघ ने सेब के दामों में आई भारी गिरावट व किसानों का मंडियों में हो रहे ए पी एम सी कानून की खुली अवहेलना से किसानों के शोषण पर गंभीर चिंता जताई है तथा सरकार से मांग की है कि सेब से लिये प्रदेश में मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) को पूर्ण रूप से लागू कर कश्मीर की तर्ज़ पर A ग्रेड के सेब के लिए 60 रुपये, B ग्रेड के सेब के लिए 44 रुपये व C ग्रेड के सेब के लिए 24 रुपये प्रति किलो के हिसाब से एच पी एम सी, हिम्फेड व अन्य सहकारी समितियों के माध्यम से खरीद की जाए। सरकार प्रदेश में ए पी एम सी कमेटीयों की लचर कार्यप्रणाली के कारण मंडियों में सरकार क़ानून की अवहेलना करने वालो के विरुद्ध सख्ती से कानूनी कार्यवाही कर किसानों को मण्डियों में हो रहे शोषण पर रोक लगाए।संघ का कहना कि सेब के दामों में आई भारी गिरावट व निरन्तर लागत वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि के कारण आज सेब की 5000 करोड़ रुपए की आर्थिकी गहरे संकट में चली गई है। सरकार की नीतियों के कारण आज कृषि व बागवानी में लागत कीमत में निरन्तर वृद्धि हो रही है। आज किसान बाज़ार से महंगी लागत वस्तुएं महंगे दामों पर खरीदने के लिए मजबूर हैं। आज सेब के दाम औसतन 300 से 1400 रुपये प्रति पेटी मिल रहे है जोकि पिछले 15 वर्षों में सबसे कम है। जबकि इस समय मे उत्पादन लागत में कई गुना वृद्धि हुई है। किसानों को आज लागत क़ीमत भी नहीं मिल पा रही है जिससे आज इनके आजीविका पर संकट और गहरा हो गया है। सरकार प्रदेश में मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) को पूर्ण रूप से लागू कर A, B व C ग्रेड का सेब खरीद कर किसानों को राहत प्रदान करे। अभी तक सरकार मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) के अंतर्गत केवल C ग्रेड का सेब की ही खरीद कर रही है वह भी 9.50 रुपये प्रति किलो जोकि कश्मीर की तुलना में बहुत कम दाम पर है। प्रदेश की मण्डियों में ए पी एम सी कानून की खुलेआम अवहेलना की जा रही है। ए पी एम सी कमेटीयों की लचर कार्यप्रणाली व मिलीभगत से प्रदेश की मण्डियों में किसानों का शोषण हो रहा है। मण्डियों में गैर कानूनी रूप से लेबर, बैंक/डी डी चार्ज, छूट के नाम पर बागवानों से 40 से 60 रुपए प्रति पेटी तक लूट की जा रही है। जहाँ लेबर के 8 रुपये प्रति पेटी तय किए गए है वहाँ किसानों से 15 रुपए प्रति पेटी तक लिए जा रहे हैं और मजदूरों को इससे भी कम दिये जा रहे हैं। कई मण्डियों में गैर कानूनी रूप से 20 से 30 रुपए प्रति पेटी चार्ज की जा रही है। संघ ने सरकार से इन मांगों पर जल्द से जल्द अमल करने की मांग उठाई है। पहले ही प्रदेश में प्राकृतिक आपदा जिसमे भारी ओलावृष्टि व बर्फबारी, वर्षा व सूखे से किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। परन्तु सरकार ने कुछ हद तक इसका आंकलन करने के बावजूद किसी भी किसान को इसकी भरपाई के लिए कोई राहत अभी तक प्रदान नहीं की है। इसके साथ ही मण्डियों में कम दाम मिलने से किसान का संकट और गहरा गया है। यदि सरकार समय रहते हस्तक्षेप कर किसानों को मण्डी मध्यस्थता योजना(MIS) के तहत समर्थन मूल्य प्रदान नहीं करती है और मण्डियों में गैर कानूनी तरीको के चलन से हो रहे किसानों के शोषण व लूट पर तुरन्त रोक नहीं लगती तो किसानों का संकट और अधिक गहरा हो जाएगा और प्रदेश के लाखों किसानों की आजीविका समाप्त हो जाएगी। संघ ने इस दशा के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है और सरकार से उचित कदम उठाने की मांग की है ।
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