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सोलन [ बद्दी ] , 15 अक्टूबर [ पंकज गोल्डी ] ! राज्य कर व आबकारी विभाग हि0प्र0 के दक्षिण प्रवर्तन क्षेत्र परवानू कार्यालय द्वारा एक राष्ट्रीयकृत बैंक को रु 70 करोड कर, ब्याज व जुर्माना राशि 90 दिन के भीतर सरकारी खजाने में जमा करने के आदेश जारी किए है। दक्षिण प्रवर्तन क्षेत्र परवानू के संयुक्त आयुक्त राज्य कर व आबकारी जी डी ठाकुर ने बताया कि उक्त मामला इनपुट टैक्स क्रेडिट वापसी का है। जानकारी अनुसार ये मामला इंटेलिजेंस टूल्स की जरिये विभाग के संज्ञान में अप्रैल 2022 में आया व जी इस टी नियमानुसार नोटिस प्रक्रिया के माध्यम से मामले में कार्यवाही अमल में लाई गई। तदोपरान्त अंतिम आदेश बैंक के विरुद्ध पारित किए गए। उन्होंने बताया कि बैंक द्वारा जी एस टी अधिनियम की धारा 17 के तहत बनाए गए नियमों की अवहेलना की जा रही थी जो कि वर्ष 2017 से लेकर 2022 तक ये अनियमितताएं बरती गई। बैंक प्रत्येक वर्ष तय नियमों के तहत अपनी शाखाओं से की गई खरीद पर इनपुट टैक्स क्रेडिट वापिस करने में चूक हुई है जिसे समय रहते जी एस टी नियमो के तहत बैंक द्वारा की गई कर मुक्त आपूर्ति पर अनुपात में किया जाना अपेक्षित था। इस मामले को 6 माह की कार्यवाही के बाद अंतिम आदेश जारी किए गए। इस मामले को निपटाने में विभागीय राज्य कर अधिकारी गुरबचन सिंह, शशिकांत शर्मा बतौर मुख्य जांच अधिकारी (आई ओ) के इलावा सहायक आयुक्त अश्विनी शर्मा, कर अधिकारी मनोज सचदेवा, ध्यान सिंह व रीमा सूद का योगदान रहा। उन्होंने विभाग के राजस्व पक्ष को अधिनिर्णय कार्यवाही में प्रमुखता से रखा। दूसरी और बैंक के बचाव पक्ष में आये वकील ने इसे विवादित इशू तो माना और अपना पक्ष रखते हुए कहा कि इसमें जी एस टी में कोई स्पष्टता नहीं है। इसके अलावा इस तरह के मामले में कोई उच्चतम न्यायालय या अप्पेल्ट अथॉरिटी द्वारा कोई सर्कुलर या किसी भी तरह की स्पष्टता प्रस्तुत नही कर पाए। और ना ही विस्तृत जांच में इस प्रकार का कोई प्रावधान जीएसटी अधिनियम के तहत अभी तक बैंक के पक्ष में विभाग के संज्ञान में आया है। इस तरह उक्त मामले में अधिनिर्णय प्राधिकारी जी डी ठाकुर ने ओपन कोर्ट में दिनांक 7 अक्टूबर 2022 को विभाग और बैंक का पक्ष सुनते हुए आदेश सुरक्षित रखे व विभागीय जांच अधिकारी ने कहा अंतिम रिपोर्ट दिनांक 11 अक्टूबर 2022 को प्रस्तुत करने के उपरांत अंतिम आदेश पारित किए गए । जिसके तहत बैंक को वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2022-23 के लिए 70 करोड़ रुपये जमा करवाने बारे आदेश पारित किया गया । एक अन्य कंपनी को 2175 करोड़ के जुर्माने के बाद किसी राष्ट्रीय कृत अग्रणी बैंक को इस प्रकार की बड़ी जुर्माना राशि विभाग द्वारा लगाई गई है। इसके अतिरिक्त लगभग दर्जन भर राष्टीयकृत बैंक व बीमा कंपनी व नॉन बैंकिंग वितीय संस्थाओं को भी जी एस टी अधिनियम के तहत जांच की कार्यवाही विभिन्न स्तरों पर चल रही है। ज्ञात रहे कि हिमाचल प्रदेश जी एस टी व सेंट्रल गवर्मेंट जी एस टी के तहत ये सभी राष्टीयकृत बैंक और नॉन बैंकिंग वितीय संस्थाएं व बीमा कम्पनी शिमला जिला में पंजीकृत है। इसके अलावा यह भी ध्यान देने योग्य है कि जी एस टी के पांच वर्ष पूरे होने पर आज तक इस तरह के मामले में सम्बंधित प्रॉपर अफसर द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं की गई और न ही जी एस टी के कॉमन पोर्टल पर इसका कोई उल्लेख है। हिमाचल व केंद्र सरकार द्वारा जी एस टी अधिनियम के तहत प्रवर्तन जोन जबकि संयुक्त आयुक्त की अध्यक्षता में गठित किये गए है इसके समानांतर केंद्र सरकार द्वारा बहुत ही संगठित डी.जी.जी. आई. की व्यवस्था की गई है जिसका मुख्य उद्देश्य सरकार और जी एस टी विभाग के मुख्य अधिकारियों के लिये एक तीसरी आंख की तरह काम करने दायित्व होता है ताकि वृतों व जिला के अधिकारियों की चूक अथवा ध्यान में न आने वाले ऐसे गंभीर मामलों को प्रवर्तन जोन की तीखी नजर से बचाया नहीं जा सकता है। जिसमे लिए सरकार व वरिष्ठ अधिकारियों का सहयोग हमेशा वांछित रहता है जिसके अभाव में इस तरह के बड़े मामले जिनमे नियम कानून की विवेचना में मात्र बाल के बराबर कोई अंतर रह जाये जिसके कारण करोडो व अरबों रुपये का सरकारी राजस्व दरकिनार हो जाता है। विभाग के संयुक्त आयुक्त श्री जी डी ठाकुर ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि बैंक द्वारा जी एस टी की धारा 17 के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट को नियमानुसार वापिस न करने पर 70 करोड़ का जुर्माना सरकारी खजाने में जमा करने के आदेश जारी किए है। संयुक्त आयुक्त जी डी ठाकुर ने आगे बताया कि ऐसी ही कार्यवाही अन्य राष्ट्रीयकृत बैंकों पर भी अमल में लाई जा रही है जिसका खुलासा भविष्य में किया जाएगा।
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