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सोलन ! औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में जोमैटो कंपनी के लगभग डेढ़ सौ कर्मचारियों ने कंपनी की नीतियों को लेकर कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है व सभी कर्मचारियों ने अपनी लॉगिन आईडी बंद कर दी है । जोमैटो कंपनी के कर्मचारी मनीष गुप्ता, संदीप सैनी, सिमरजीत सिंह, विजय कुमार ,सोनू सिंह, रमन कुमार, समेत अनेक कर्मचारियों का कहना है कि जोमैटो कंपनी द्वारा डिलीवरी के लिए नए नियम लागू किए गए हैं। जिससे उन्हें डिलीवरी करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और उनकी कमाई पर भी खासा असर पड़ेगा। इसी को लेकर आज सभी कर्मचारियों ने जोमैटो की अपनी अपनी लॉगिन आईडी बंद कर दी है वहीं कर्मचारियों का कहना है कि जोमैटो द्वारा ना तो उन्हें एक्सीडेंट क्लेम दिया जाता है और ना ही उनकी कोई समस्या सुनी जाती है । यहां तक कि उन्हें पी.एफ. व ई.एस.आई. की सुविधा नहीं मिल रही है। उन्होंने बताया कि हाल ही में उनके साथ काम कर रहे एक युवक की मृत्यु डिलीवरी के दौरान हुई थी वहीं एक डिलीवरी ब्वॉय की टांग एक्सीडेंट के कारण काटनी पड़ी थी । जिसका इलाज हम सब ने मिलकर अपनी जेब से करवाया परन्तु जोमैटो कंपनी के द्वारा उनकी कोई भी मदद समय पर नहीं की गई। उक्त सभी युवाओं का कहना है कि जोमैटो कंपनी उनका शोषण कर रही है व सरकार भी इसमें उनका साथ दे रही है। जब इसकी शिकायत मुख्यमंत्री शिकायत केंद्र में की गई तो उन्हें यही जवाब मिला कि यह कंपनी के दायरे से बाहर है व हम इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रही है। उपरोक्त कर्मचारियों का कहना है कि जोमैटो को ऊपर उठाने में हमने दिन रात एक किया है व जान जोखिम में डालकर अपने वाहनों पर दिन रात लोगों को खाना व अन्य सामग्री पहुंचाई है। यहां तक कि कोरोना काल में जब लोग परेशान थे व हर कोई अपने घरों से निकलने से डरता था तो हमने जोमैटो के उत्पादों को घर -घर पहूंचाया। अब जब यह कंपनी आसमान छु रही है तो जिन लोगों ने इन्हें यहां तक पहुंचा उन्ही की जेबों पर अब डाका डाल रहे हैं। युवकों ने प्रशासन और प्रदेश सरकार से मांग की है कि ऐसी कंपनियों पर नकेल कसी जाए जिससे उन्हें ईएसआई और पीएफ जैसी सुविधाओं में रजिस्टर करवाया जा सके ताकि भविष्य में उनके साथ किसी प्रकार का धोखा ना हो सके । सभी युवाओं ने मिलकर लेबर कोर्ट जाने का फैसला किया है और उच्च अधिकारियों से उनकी मदद करने की गुहार लगाई । इस मामले में एरिया हेड गौरव राय से फोन पर बात की गई तो उन्होंने यह कहकर बात टाल दी कि वह ध्यान देने के लिए ऑथराइज्ड नहीं है । जबकि श्रम अधिकारी मनीष करोल का कहना है कि उनके पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है।
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