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सोलन ,14 सितम्बर [ विशाल सूद ] ! डॉ यशवंत सिंह परमार औदयानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी ने गोवा के शारदा हायर सेकेंडरी स्कूल ऑफ आर्ट्स, कॉमर्स एंड एग्रीकल्चर के साथ एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत विश्वविद्यालय कृषि और बागवानी में स्थायी आजीविका अर्जित करने के लिए कम लागत और जलवायु-लचीली प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर स्थानीय युवाओं की क्षमता निर्माण के लिए सहायता प्रदान करेगा। हाल ही में गोवा में प्राकृतिक खेती पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसकी अध्यक्षता हिमाचल प्रदेश के माननीय राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने की। एमओयू हस्ताक्षर समारोह के दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल भी मौजूद रहे। प्रोफेसर चंदेल और बीज विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ नरेंद्र भरत ने शारदा हायर सेकेंडरी स्कूल ऑफ आर्ट्स, कॉमर्स एंड एग्रीकल्चर और आसपास के क्षेत्रों का दौरा किया और संकाय एवं कर्मचारियों के साथ बातचीत की। टीम ने जैविक खेती का अभ्यास करने वाले किसानों के साथ प्राकृतिक कृषि पर चर्चा की। प्रोफेसर चंदेल ने बताया कि इस साझेदारी का उद्देश्य एक ऐसा ढांचा बनाना है जिसके अंतर्गत दोनों संस्थान एक साथ संयुक्त गतिविधियां करेंगे। उन्होंने बताया कि छात्रों द्वारा प्राकृतिक खेती मॉडल के विकास के माध्यम से ज्ञान संसाधन केंद्रों के निर्माण की दिशा में काम किया जाएगा। छात्रों के कौशल उन्नयन के लिए, विश्वविद्यालय के सर्टिफिकेट कोर्स पाठ्यक्रम को अपनाने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिए प्राकृतिक कृषि प्रथाओं को बढ़ाने के लिए पारंपरिक ज्ञान आधार को एकीकृत करने में स्कूल का समर्थन करेगा। उन्होंने बताया कि यह समझौता कृषि-बागवानी में विवि की ताकत और उपलब्धियों, विशेष रूप से हिमाचल में प्राकृतिक खेती की सफलता को प्रदर्शित करने और अन्य समुदायों के साथ इस ज्ञान को साझा करने का एक मंच होगा। प्रोफेसर चंदेल ने कहा कि छात्रों को कृषि और बागवानी में उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, विशेष रूप से प्राकृतिक खेती को अपनाकर इस खेती की तकनीक पर मॉडल फार्म बनाकर ज्ञान इनक्यूबेटर के उद्देश्य को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। स्थानीय बाजारों का अध्ययन और लोकल स्तर पर ब्रांडों के निर्माण में मदद की जाएगी। इस समझौते के तहत दोनों संस्थान समाज के हित, पारस्परिक प्रगति और सेवा के लिए अनुभव और वैज्ञानिक/पारंपरिक ज्ञान का आदान-प्रदान करेंगे। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती की सफलता की कहानियों को देखने के लिए प्राकृतिक खेती एक्सपोजर विजिट, कक्षा प्रदर्शन और छात्रों के लिए अध्ययन सामग्री प्रदान करने का भी प्रावधान होगा।
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