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सोलन , [ बद्दी ] 17 फरवरी [ पंकज गोल्डी ] ! बद्दी मे स्थित कंपनी बंकरमैन ने एक नई स्वदेशी तकनीक विकसित की है जिसके द्वारा घर के अंदर या बाहर की दूषित हवा से कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य घातक गैसों को आसानी से अलग करके सांस लेने वाली विशुद्ध व स्वस्थ हवा मे बदला जा सकता है। कंपनी ने 15 व 16 फ़रवरी को अपनी इस तकनीकी का तीसरा परीक्षण बद्दी मे किया जिसमे दिल्ली, बंगलोर, ग्वालियर, गुवाहाटी आदि शहरों तथा देश के उच्चतम अनुसंधान संस्थानो से आए हुए इंजीनीयरों तथा वैज्ञानिकों ने भी सुचारू रूप से भाग लिया। पहले किए गए दोनों परीक्षणों की तरह यह परीक्षण भी पूरी तरह सफल रहा और आए हुए वैज्ञानिकों ने परीक्षण के सफल परिणामों की सराहना की। कंपनी के चेयरमैन मेजर जनरल डॉक्टर श्रीपाल (रिटायर्ड) ने बताया कि इस तीसरे सफल परीक्षण के बाद अब वे इस तकनीकी से बद्दी मे अप्रैल महीने से इन सन्यन्त्रों का उत्पादन शुरू करेंगे जिसके उद्घाटन के लिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री व राज्यपाल को भी आमंत्रित किया है। हिमाचल प्रदेश स्वदेशी तकनीक से इन संयंत्रों को बनाने वाला देश का पहला राज्य होगा। प्रदेश की इस पहल से देश को आत्म निर्भर भारत और स्वच्छ भारत अभियान की सफलता मे बहुत बड़ा सहयोग मिलेगा। डॉक्टर श्रीपाल ने बताया कि अभी तक इस तरह की तकनीकी का इस्तेमाल ज़्यादातर देश-विदेशों मे सिर्फ न्यूक्लियर बंकरों मे, पंडुब्बियों मे, तथा अन्य सुरक्षित सैनिक ठिकानों मे ही होता था। लेकिन विश्व के बदलते हालातों मे इस समय इस तकनीकी को आम जनता की सुरक्षा एवं सेहत के लिए भी इस्तेमाल करने की आवश्यकता है। बड़े शहरों मे जो आजकल प्रदूषण की समस्ष्या बढ़ रही है, इस तकनीक के इस्तेमाल से उसका भी समाधान आसानी से किया जा सकता है। और आने वाले समय मे संपूर्ण वातावरण को जन स्वास्थ्य के अनुकूल साफ एवं शुद्ध रखा जा सकता है तथा उसे भविष्य मे और ज्यादा प्रदूषित होने से भी बचाया जा सकता है। इस तकनीक की सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इसमे लगे सन्यन्त्रों द्वारा प्रदूषित हवा से कार्बन डाइऑक्साइड, अन्य घातक गैसों तथा प्रदूषण को आसानी से निकालकर पहले फ़िल्टर सामग्री मे इकट्ठा किया जाता है, तथा बाद मे इसके कचरे को ओर्गनिक खाद [ कैल्सियम रिच ओर्गनिक मैन्योर (क्रोम)मे परिवर्तित करके पोधों और फसलों मे इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह यह एक टिकाऊ परिस्थितिकी तन्त्र (सस्टेनेबल ईको सिस्टम) की तरह काम करता है जिसमे पेड़ पोधे हमे स्वस्थ जीवन के लिए ऑक्सिजन देते हैं, और हम ( मनुष्य एवं मवेशी) जो कार्बन डाइऑक्साइड, प्रदूषण व अन्य गैसें प्राकृतिक वातावरण मे उत्पन्न करते हैं, उन्हे हम इन सन्यन्त्रों द्वारा हवा से निकालकर पेड़ पोधो को उर्वरक ओरगनिक खाद के रूप मे वापस कर देते हैं। https://youtube.com/playlist?list=PLfNkwz3upB7OrrnGCDxBewe7LwsUn1bhs
सोलन , [ बद्दी ] 17 फरवरी [ पंकज गोल्डी ] ! बद्दी मे स्थित कंपनी बंकरमैन ने एक नई स्वदेशी तकनीक विकसित की है जिसके द्वारा घर के अंदर या बाहर की दूषित हवा से कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य घातक गैसों को आसानी से अलग करके सांस लेने वाली विशुद्ध व स्वस्थ हवा मे बदला जा सकता है। कंपनी ने 15 व 16 फ़रवरी को अपनी इस तकनीकी का तीसरा परीक्षण बद्दी मे किया जिसमे दिल्ली, बंगलोर, ग्वालियर, गुवाहाटी आदि शहरों तथा देश के उच्चतम अनुसंधान संस्थानो से आए हुए इंजीनीयरों तथा वैज्ञानिकों ने भी सुचारू रूप से भाग लिया। पहले किए गए दोनों परीक्षणों की तरह यह परीक्षण भी पूरी तरह सफल रहा और आए हुए वैज्ञानिकों ने परीक्षण के सफल परिणामों की सराहना की।
कंपनी के चेयरमैन मेजर जनरल डॉक्टर श्रीपाल (रिटायर्ड) ने बताया कि इस तीसरे सफल परीक्षण के बाद अब वे इस तकनीकी से बद्दी मे अप्रैल महीने से इन सन्यन्त्रों का उत्पादन शुरू करेंगे जिसके उद्घाटन के लिए उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री व राज्यपाल को भी आमंत्रित किया है। हिमाचल प्रदेश स्वदेशी तकनीक से इन संयंत्रों को बनाने वाला देश का पहला राज्य होगा। प्रदेश की इस पहल से देश को आत्म निर्भर भारत और स्वच्छ भारत अभियान की सफलता मे बहुत बड़ा सहयोग मिलेगा।
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डॉक्टर श्रीपाल ने बताया कि अभी तक इस तरह की तकनीकी का इस्तेमाल ज़्यादातर देश-विदेशों मे सिर्फ न्यूक्लियर बंकरों मे, पंडुब्बियों मे, तथा अन्य सुरक्षित सैनिक ठिकानों मे ही होता था। लेकिन विश्व के बदलते हालातों मे इस समय इस तकनीकी को आम जनता की सुरक्षा एवं सेहत के लिए भी इस्तेमाल करने की आवश्यकता है। बड़े शहरों मे जो आजकल प्रदूषण की समस्ष्या बढ़ रही है, इस तकनीक के इस्तेमाल से उसका भी समाधान आसानी से किया जा सकता है। और आने वाले समय मे संपूर्ण वातावरण को जन स्वास्थ्य के अनुकूल साफ एवं शुद्ध रखा जा सकता है तथा उसे भविष्य मे और ज्यादा प्रदूषित होने से भी बचाया जा सकता है।
इस तकनीक की सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इसमे लगे सन्यन्त्रों द्वारा प्रदूषित हवा से कार्बन डाइऑक्साइड, अन्य घातक गैसों तथा प्रदूषण को आसानी से निकालकर पहले फ़िल्टर सामग्री मे इकट्ठा किया जाता है, तथा बाद मे इसके कचरे को ओर्गनिक खाद [ कैल्सियम रिच ओर्गनिक मैन्योर (क्रोम)मे परिवर्तित करके पोधों और फसलों मे इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस तरह यह एक टिकाऊ परिस्थितिकी तन्त्र (सस्टेनेबल ईको सिस्टम) की तरह काम करता है जिसमे पेड़ पोधे हमे स्वस्थ जीवन के लिए ऑक्सिजन देते हैं, और हम ( मनुष्य एवं मवेशी) जो कार्बन डाइऑक्साइड, प्रदूषण व अन्य गैसें प्राकृतिक वातावरण मे उत्पन्न करते हैं, उन्हे हम इन सन्यन्त्रों द्वारा हवा से निकालकर पेड़ पोधो को उर्वरक ओरगनिक खाद के रूप मे वापस कर देते हैं।
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