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सुंदरनगर ! शतप्रतिशत दृष्टिहीन व्यक्ति कुंदन लाल वर्तमान में न्याय पाने के लिए दर दर की ठोकरें खाने को विवश है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह विस क्षेत्र से संबंध रखने वाले कुंदन लाल को हर मोर्चे पर रूशवाई ही मिली है। क्योंकि उसकी पत्नी द्वारा अपने पति को सताए जाने की एवज में अब हर ओर से थक हार कर कुंदन लाल ने न्यायालय से गुहार लगाई है कि पहले ही भांति इस बार भी उसके साथ न्याय किया जाए। क्योंकि कुंदन लाल कोर्ट में जाने के लिए पूरी तरह से असमर्थ है। इस संदर्भ में कुंदन लाल ने सोमवार को अतिरिक्त मुख्य जुडिशियल मैजिस्ट्रेट रामपुर बुशैहर, जिला शिमला, एसडीएम गोहर, एएपी मंडी, निदेशक अनुसूचित जाति अन्य पिछड़ा वर्ग एवं विशेष रूप से समक्ष का सशक्तिकरण को लिखित तौर से पत्राचार के माध्यम से स्थिति बयां की। जिसमें बताया कि उसकी पत्नी, बच्चों को स्कूल से उसकी अनुमति के बिना ले गई है। तब से गत वर्ष 2019 से वह बच्चों संग लापता है। जिसकी सूचना, शिकायत कुंदन लाल के द्वारा दूरभाष, व्यक्तिगत, लिखित में पुलिस, प्रशासन, मुख्यमंत्री शिकायत सहायता, हर जगह की गई। लेकिन ठीक ही कहते है। जिसे कुदर न सताया हो। उसे इंसान क्या उपर उठा सकेगा। लेकिन कुदन लाल ने हिम्मत नहीं हारी और दिव्यांगजनों के कानूनी सलाहकार एवं मुख्य समाजसेवी कुशल कुमार सकलानी से संपर्क साधकर अपनीे सारी व्यथा सुनाई। जिसे सुनकर सकलानी का दिल भी पसीज गया और कुंदन लाल को न्याय दिलाने की ठान ली। सकलानी का कहना है कि दृष्टिहीन का साथ न देकर सबसे पहले पुलिस, प्रशासन ने सब जानते हुए भी उसके साथ धोखा किया और उसके जीवन को और नर्क में धकेलने का कार्य किया। जिसके लिए शासन, प्रशासन और पुलिस सीधे तौर पर जिम्मेदार है। जहां पर दो दो मर्तबा मुख्यमंत्री हैल्पलाइन नंबर पर शिकायत करने के बावजूद भी आज दिन तक 100 प्रतिशत दृष्टिहीन की सुनवाई तक नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि विशेष मौलिक अधिकारों के अन्तर्गत कानून 2016 की धारा 7, 89, 90, 91, 92, 93 की सपष्ट उल्लंघना, अवहेलना की है। क्योंकि शतप्रतिशत दृष्टिहीन दिव्यांग के साथ जघंन्य अपराध करने व करवाने में अपराधी का साथ देना अतिसंवेदशील है। जबकि इसमें दोनों सजाओं, जुर्माना, कैद का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि अदालत सभी पहलुओं को मध्यनजर रखते हुए कुंदन लाल रक्षा, सुरक्षा के साथ न्याय दे।
सुंदरनगर ! शतप्रतिशत दृष्टिहीन व्यक्ति कुंदन लाल वर्तमान में न्याय पाने के लिए दर दर की ठोकरें खाने को विवश है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह विस क्षेत्र से संबंध रखने वाले कुंदन लाल को हर मोर्चे पर रूशवाई ही मिली है। क्योंकि उसकी पत्नी द्वारा अपने पति को सताए जाने की एवज में अब हर ओर से थक हार कर कुंदन लाल ने न्यायालय से गुहार लगाई है कि पहले ही भांति इस बार भी उसके साथ न्याय किया जाए। क्योंकि कुंदन लाल कोर्ट में जाने के लिए पूरी तरह से असमर्थ है। इस संदर्भ में कुंदन लाल ने सोमवार को अतिरिक्त मुख्य जुडिशियल मैजिस्ट्रेट रामपुर बुशैहर, जिला शिमला, एसडीएम गोहर, एएपी मंडी, निदेशक अनुसूचित जाति अन्य पिछड़ा वर्ग एवं विशेष रूप से समक्ष का सशक्तिकरण को लिखित तौर से पत्राचार के माध्यम से स्थिति बयां की। जिसमें बताया कि उसकी पत्नी, बच्चों को स्कूल से उसकी अनुमति के बिना ले गई है। तब से गत वर्ष 2019 से वह बच्चों संग लापता है। जिसकी सूचना, शिकायत कुंदन लाल के द्वारा दूरभाष, व्यक्तिगत, लिखित में पुलिस, प्रशासन, मुख्यमंत्री शिकायत सहायता, हर जगह की गई। लेकिन ठीक ही कहते है। जिसे कुदर न सताया हो। उसे इंसान क्या उपर उठा सकेगा। लेकिन कुदन लाल ने हिम्मत नहीं हारी और दिव्यांगजनों के कानूनी सलाहकार एवं मुख्य समाजसेवी कुशल कुमार सकलानी से संपर्क साधकर अपनीे सारी व्यथा सुनाई। जिसे सुनकर सकलानी का दिल भी पसीज गया और कुंदन लाल को न्याय दिलाने की ठान ली।
सकलानी का कहना है कि दृष्टिहीन का साथ न देकर सबसे पहले पुलिस, प्रशासन ने सब जानते हुए भी उसके साथ धोखा किया और उसके जीवन को और नर्क में धकेलने का कार्य किया। जिसके लिए शासन, प्रशासन और पुलिस सीधे तौर पर जिम्मेदार है। जहां पर दो दो मर्तबा मुख्यमंत्री हैल्पलाइन नंबर पर शिकायत करने के बावजूद भी आज दिन तक 100 प्रतिशत दृष्टिहीन की सुनवाई तक नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि विशेष मौलिक अधिकारों के अन्तर्गत कानून 2016 की धारा 7, 89, 90, 91, 92, 93 की सपष्ट उल्लंघना, अवहेलना की है। क्योंकि शतप्रतिशत दृष्टिहीन दिव्यांग के साथ जघंन्य अपराध करने व करवाने में अपराधी का साथ देना अतिसंवेदशील है। जबकि इसमें दोनों सजाओं, जुर्माना, कैद का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि अदालत सभी पहलुओं को मध्यनजर रखते हुए कुंदन लाल रक्षा, सुरक्षा के साथ न्याय दे।
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