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शिमला। जिला परिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव आज टल गया। जिप अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चयन के लिए आज जिला प्रशासन की ओर से बैठक बुलाई थी लेकिन इस बैठक में ना तो कांग्रेस (Congress) का सदस्य पहुंचे और ना ही बीजेपी के। केवल माकपा के तीन सदस्य ही पहुंच पाए, जिसके चलते कोरम पूरा नहीं हो पाया। ऐसे में अब अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का चुनाव 10 फरवरी को होगा। हालांकि, डीसी शिमला आदित्य नेगी (DC Shimla Aditya Negi)व अन्य अधिकारी समय पर पहुंच गए थे लोकिन जब सदस्य ही नहीं पहुंचे तो चुनाव टालना पड़ा।डीसी शिमला आदित्य ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि आज पहली बैठक बुलाई थी इसमें मात्र तीन सदस्य ही पहुंच पाए। जबकि कोरोम पूरा करने के लिए 16 सदस्यों का उपस्थित होना जरूरी था। ऐसे में अब 10 फरवरी को बैठक बुलाई गई है। उस बैठक में 13 सदस्य का उपस्थित होना जरूरी होगा। जाहिर है शिमला जिला परिषद के लिए 24 सदस्यों ने जीत हासिल की है। इसमें से 12 कांग्रेस समर्थित हैं, जबकि चार बीजेपी व तीन माकपा समर्थित सदस्य हैं। इसके अलावा पांच सदस्य निर्दलीय हैं। कांग्रेस व बीजेपी की नजरें निर्दलीय पर है। इन्हें रिझाने के लिए दोनों ही दलों की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस को दूसरों को साथ लाने के लिए बजाए अपने कुनबे को संभाले रखना चुनौती है। बहरहाल 10 फरवरी को होने वाली बैठक पर सब की नजरें टिकी हुई है।
शिमला। जिला परिषद के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव आज टल गया। जिप अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चयन के लिए आज जिला प्रशासन की ओर से बैठक बुलाई थी लेकिन इस बैठक में ना तो कांग्रेस (Congress) का सदस्य पहुंचे और ना ही बीजेपी के। केवल माकपा के तीन सदस्य ही पहुंच पाए, जिसके चलते कोरम पूरा नहीं हो पाया। ऐसे में अब अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का चुनाव 10 फरवरी को होगा। हालांकि, डीसी शिमला आदित्य नेगी (DC Shimla Aditya Negi)व अन्य अधिकारी समय पर पहुंच गए थे लोकिन जब सदस्य ही नहीं पहुंचे तो चुनाव टालना पड़ा।डीसी शिमला आदित्य ने मीडिया से बातचीत के दौरान बताया कि आज पहली बैठक बुलाई थी इसमें मात्र तीन सदस्य ही पहुंच पाए।
जबकि कोरोम पूरा करने के लिए 16 सदस्यों का उपस्थित होना जरूरी था। ऐसे में अब 10 फरवरी को बैठक बुलाई गई है। उस बैठक में 13 सदस्य का उपस्थित होना जरूरी होगा। जाहिर है शिमला जिला परिषद के लिए 24 सदस्यों ने जीत हासिल की है। इसमें से 12 कांग्रेस समर्थित हैं, जबकि चार बीजेपी व तीन माकपा समर्थित सदस्य हैं। इसके अलावा पांच सदस्य निर्दलीय हैं। कांग्रेस व बीजेपी की नजरें निर्दलीय पर है। इन्हें रिझाने के लिए दोनों ही दलों की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि, कांग्रेस को दूसरों को साथ लाने के लिए बजाए अपने कुनबे को संभाले रखना चुनौती है। बहरहाल 10 फरवरी को होने वाली बैठक पर सब की नजरें टिकी हुई है।
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