- विज्ञापन (Article Top Ad) -
शिमला , 03 जनवरी [ विशाल सूद ] ! हिमाचल हाई कोर्ट द्वारा सीपीएस के मंत्रियों की तरह सुविधाओं पर रोक लगा दी गई है। इसको लेकर सरकार की ओर से नियुक्त महाधिवक्ता अनूप रतन ने कहा कि इसको लेकर पहले हाईकोर्ट को स्पष्ट कर दिया गया था कि चीफ़ पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी से वह किसी भी प्रकार से मंत्रियो का कार्य नहीं कर रहे हैं वह सिर्फ मंत्रियो को उनके कार्य में एसिस्ट कर रहे हैं और प्रदेश उच्च न्यायालय को स्पष्ट किया था कि हिमाचल प्रदेश पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी अपॉइंटमेंट और सैलरी अलाउंस प्रिविलेज एमेनिटीज एक्ट 2006 जो है उसका जो एक्ट 4 है उसमे स्पष्ट रूप से लिखा गया है की सरकार के किसी भी एक्शन को अप्रूव नहीं कर सकते हैं किसी सरकार के अधिकारी ने कोई मिनिस्टर को फाइल भेजी है और उन्होंने कुछ फाइल पर मांगा है तो सीपीएस फाइल का अध्ययन करने के पश्चात उस पर एक अपना सुझाव मात्र दर्ज करवा सकते हैं वह अप्रूवल का हक नहीं रखते हैं इसलिए वह जब से नियुक्त किए गए प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश सरकार ने पूरा ध्यान रखा है कि वह किसी भी प्रकार से मिनिस्टर्स की ड्यूटीज को डिस्चार्ज नहीं कर रहे थे । उन्होंने कहा कि याचिका कर्ता ने एक मामला असम की जजमेंटल दी है लेकिन यह मामला उसकी तरह बिल्कुल नहीं है या उससे मिलता-जुलता मामला बिल्कुल भी नहीं है। असम में सीपीएस को मिनिस्टर का स्टेटस दिया गया है हिमाचल में ऐसा कुछ नहीं है तो आप इस मामले की सुनवाई 12 मार्च को होनी चाहिए और उसके पश्चात कभी भी फैसला आएगा
शिमला , 03 जनवरी [ विशाल सूद ] ! हिमाचल हाई कोर्ट द्वारा सीपीएस के मंत्रियों की तरह सुविधाओं पर रोक लगा दी गई है। इसको लेकर सरकार की ओर से नियुक्त महाधिवक्ता अनूप रतन ने कहा कि इसको लेकर पहले हाईकोर्ट को स्पष्ट कर दिया गया था कि चीफ़ पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी से वह किसी भी प्रकार से मंत्रियो का कार्य नहीं कर रहे हैं
वह सिर्फ मंत्रियो को उनके कार्य में एसिस्ट कर रहे हैं और प्रदेश उच्च न्यायालय को स्पष्ट किया था कि हिमाचल प्रदेश पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी अपॉइंटमेंट और सैलरी अलाउंस प्रिविलेज एमेनिटीज एक्ट 2006 जो है उसका जो एक्ट 4 है उसमे स्पष्ट रूप से लिखा गया है की सरकार के किसी भी एक्शन को अप्रूव नहीं कर सकते हैं किसी सरकार के अधिकारी ने कोई मिनिस्टर को फाइल भेजी है और उन्होंने कुछ फाइल पर मांगा है तो सीपीएस फाइल का अध्ययन करने के पश्चात उस पर एक अपना सुझाव मात्र दर्ज करवा सकते हैं वह अप्रूवल का हक नहीं रखते हैं इसलिए वह जब से नियुक्त किए गए प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश सरकार ने पूरा ध्यान रखा है कि वह किसी भी प्रकार से मिनिस्टर्स की ड्यूटीज को डिस्चार्ज नहीं कर रहे थे ।
- विज्ञापन (Article Inline Ad) -
उन्होंने कहा कि याचिका कर्ता ने एक मामला असम की जजमेंटल दी है लेकिन यह मामला उसकी तरह बिल्कुल नहीं है या उससे मिलता-जुलता मामला बिल्कुल भी नहीं है। असम में सीपीएस को मिनिस्टर का स्टेटस दिया गया है हिमाचल में ऐसा कुछ नहीं है तो आप इस मामले की सुनवाई 12 मार्च को होनी चाहिए और उसके पश्चात कभी भी फैसला आएगा
- विज्ञापन (Article Bottom Ad) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 1) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 2) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 3) -
- विज्ञापन (Sidebar Ad 4) -