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शिमला ! हिमाचल विधानसभा बजट सत्र में बुधवार को सदन में शिमला ओर धर्मशाला स्मार्ट सिटी को लेकर विपक्ष ने सरकार पर जमकर निशाना साधा। विपक्ष ने नियम 130 में यह प्रस्ताव पेश कर इस पर चर्चा की ! विक्रमादित्य सिंह ने इस संबंध में प्रस्ताव पेश किया। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि शिमला स्मार्ट सिटी हिमाचल की राजधानी है। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले धर्मशाला और फिर शिमला को स्मार्ट सिटी में शामिल किया। यह स्वागत योग्य कदम था। आज 2500 करोड़ का शिमला के लिए जो प्रोजेक्ट अप्रूव करवाया गया है। इसमें नियमानुसार काम नहीं हो रहा है। विक्रमादित्य बोले कि नगर निगम शिमला से अभी तक अपना दफ्तर नहीं बन पाया। बहुत से काम ज़मीन स्तर पर नहीं हो रहे हैं। शहर में लिफ्ट एस्केलेटर रोप वे लगाने सहित कई कार्यो का बखान किया जा रहा है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ नही है। सरकार ने 2022 में 53 प्रोजकेट को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन जो कार्य शुरू किए है उनकी फारेस्ट क्लियरस तक नही ली गई है और वे सब प्रोजकेट अधर में लटक गए। शिमला की आबादी ढाई लाख से ज्यादा हो गई है और पर्यटक भी काफी तादात में आते है लेकिन यहां पार्किंग तक नही बना पाए है। नगर निगम अपना ही दफ्तर नही बना पाया है शिमला का रिज मैदान को बचाने के लिए कोई कदम नही उठा रहे है। रिज का एक हिसा धस रहॉ है उसका काम करवाने के लिए 15 करोड़ का पहले बजट रखा गया और अब 27 करोड़ हो गया है लेकिन यहां भी वन विभाग से अनुमति नही ली गई जिससे ये काम भी लटक गया है। इन प्रोजेक्ट का कार्य करने का समय तह है और इसी साल ये कार्य पूरे नही होते है तो पैसा वापिस चला जायेगा। वही उन्होंने कंपनी पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि स्मार्ट सिटी का कार्य कम्पनी को दे दिया है जिसकी कोई जवाबदेही नही है जबकि इसे सरकारी विभागो के तहत होना चाहिए था। इसके अलावा स्मार्ट सिटी में ग्रांट भी 50 फीसदी केंद्र सरकार ओर 50 फीसदी हिमाचल सरकार को देनी है। जबकि कांग्रेस कार्यकाल में jnrum के तहत रेशों 90:10 का अनुपात था । प्रदेश सरकार पहले ही कर्जे में डूबी है ऐसे में स्मार्ट सिटी के लिए पैसे कहा से देगी। नादौन के कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि शिमला में इस प्रोजेक्ट के तहत जितनी भी रिटेनिंग वाल लगी, उसमें 1000 गुना पैसा लगा। उन्होंने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए। शिमला तो पहले से ही स्मार्ट था। पहले 90:10 के केंद्र और हिमाचल सरकार के फंड से निर्माण होना था, अब ये 50:50 की हिस्सेदारी हो गई है।
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