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शिमला ! सहकारिता मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा की प्रदेश सहकारिता विभाग कृषक उत्पादक संगठन के लिए विशेष नियम बनाएंगे जिस से किसी भी प्रकार दुविधा न रहे। उन्होंने कहा कि कृषक उत्पादक संगठन केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की योजना के तहत बनाये जा रहे है जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि आधारित अधोसंरचना का निर्माण और किसानों कि आय को बढ़ाना है। भारद्वाज ने शिमला में आज सहकारिता विभाग, नाबार्ड, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम और कृषि विभाग के अधिकारीयों के साथ बैठक में कृषक उत्पादक संगठन बनाने को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह से हिमाचल में कृषक उत्पादक संगठन योजना के विस्तार के बारे में चर्चा हुई ह। सितम्बर माह में एक योजना बना कर प्रदेश ने एक वर्ष में 100 कृषक उत्पादक संगठन बनाने का लक्ष्य रखा था और पिछले एक महीने में 18 एफपीओ बनाये गए हैं व अन्य पर काम चल रहा है। एक एफपीओ के माध्यम से काम से काम 100 किसान को जोड़ा जायेगा। बैठक में विभिन तकनीकी पहलुओं पर चर्चा हुई। भारद्वाज ने कहा कि अभी कुछ जिले इस योजना में सम्मलित किये गए हैं। केंद्र सरकार से बाकी जिलों को भी इस योजना के तहत शामिल करने का आग्रह किया जायेगा। भारद्वाज ने कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में सहकारी क्षेत्रों में एफपीओ बनाने को लेकर बल दिया जायेगा और प्रदेश जल्द हे अपने लक्ष्य को पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि जो जिले नाबार्ड, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम कि लक्ष्य सूची में शामिल नहीं हुए हैं वहां भी एफपीओ बना कर कृषि कोष योजना के तहत लाभ प्रदान किया जायेगा। भारद्वाज ने अधिक से अधिक एफपीओ को सहकारी क्षेत्रों में रजिस्टर करने को कहा है। उन्होंने कहा कि सहकर से समृद्धि का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य को पूरा करने के लिए यह योजना कारगर सिद्ध होगी। केंद्र सरकार ने 6865 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान से देशभर में नई एफपीओ योजना शुरू की है। केंद्र सरकार ने 10,000 नए एफपीओ बनाने की मंजूरी दी है। इसी कड़ी में प्रदेश में इस वित्तीय वर्ष में सौ संगठन बनाने का फैसला लिया है। हर संगठन में कम से कम 100 किसान-बागवान शामिल करना अनिवार्य रहेगा। प्रदेश में पहले से गठित करीब 40 कोऑपरेटिव सोसायटियाें को एफपीओ के तौर पर तबदील करने की योजना है। सहकारिता मंत्री सुरेश भारद्वाज ने बताया कि एफपीओ किसानों-बागवानों का एक समूह होगा। जो कृषि-बागवानी उत्पादन कार्य में लगा हो। यह संगठन कृषि और बागवानी से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियां चलाएगा। एक समूह बनाकर उसे कंपनी एक्ट में पंजीकृत करवा सकते हैं। संगठन के माध्यम से खाद, बीज, दवाइयों और कृषि उपकरण खरीदना आसान होगा, जल्द योजना को अंतिम रूप देकर कैबिनेट की मंजूरी के लिए लाया जाएगा।
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