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शिमला ! भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, विशिष्ट व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत 28 मई 2021 को सायं 3 बजे ’’सी.जी. जंगज साइकालजी एण्ड दी उपनिषदिक विज्डम: फ्राम ’इन्डिविजुएशन’ टूवर्डस आत्मनिजेशन’’ विषय पर एक वेबिनार का आयोजन कर रहा है। बार-इलान यूनिवर्सिटी, इजराइल की सुश्री नोआ श्वार्ट्ज फुएरस्टीन इस अवसर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करेंगी जोकि श्वार्ट्ज फुएरस्टीन ’इजराइल इंस्टीट्यूट आफ जुंगियन साइकोलॉजी’ में शिक्षिका एवं पर्यवेक्षक हैं। बता दें, इन दिनों वे ‘ऑन हॉरर एंड बियॉन्ड‘ सी.जी. जंगस रिलेशन टू इण्डिया एण्ड उपनिषदिक विज्डम’ नामक पुस्तक लिख रहीं हैं और पिछले तीन वर्षों से ऋतंभरा के संघ के साथ योग सूत्र का भी अध्ययन कर रही हैं। इस व्याख्यान में प्रख्यात स्विस मनोचिकित्सक एवं मनोविश्लेषक कार्ल गुस्ताव जंग का भारत के साथ जो संबंध रहा है, उसके इतिहास का अन्वेषण किया जाएगा और भारत के प्राचीन साहित्य के साथ उनके शुरुआती व्यापक परिचय पर भी चर्चा की जाएगी। साथ ही कार्ल जंग के नजरिए में भारत की संस्कृति के प्रति जो बदलाव आया उस पर प्रकाश डालते हुए विषय से संबंधित संदेहों व आशंकाओं का भी समाधान किए जाने का प्रयास किया जाएगा। मुख्य वक्ता नोआ श्वार्ट्ज फुएरस्टीन ने बताया कि इस उद्देश्य से उन्होंने ‘बृहदारण्यक उपनिषद’ से एक विशेष अध्याय का चुनाव किया है, जिसमें ऋषि याज्ञवल्क्य और उनकी पत्नी मैत्रे के बीच संवाद निहित है। व्याख्यान में भारतीय आश्रम प्रणाली की तुलना जंग के ‘जीवन की अवस्थाओं’ के सिद्धांत से भी की जाएगी। सिस्को वेबैक्स के माध्यम से आयोजित होने वाले इस व्याख्यान में संस्थान के अध्येताओं के अलावा देश-विदेश से कई जाने-माने विद्वानों के भाग लेने की संभावना है।
शिमला ! भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, विशिष्ट व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत 28 मई 2021 को सायं 3 बजे ’’सी.जी. जंगज साइकालजी एण्ड दी उपनिषदिक विज्डम: फ्राम ’इन्डिविजुएशन’ टूवर्डस आत्मनिजेशन’’ विषय पर एक वेबिनार का आयोजन कर रहा है। बार-इलान यूनिवर्सिटी, इजराइल की सुश्री नोआ श्वार्ट्ज फुएरस्टीन इस अवसर अपना व्याख्यान प्रस्तुत करेंगी जोकि श्वार्ट्ज फुएरस्टीन ’इजराइल इंस्टीट्यूट आफ जुंगियन साइकोलॉजी’ में शिक्षिका एवं पर्यवेक्षक हैं।
बता दें, इन दिनों वे ‘ऑन हॉरर एंड बियॉन्ड‘ सी.जी. जंगस रिलेशन टू इण्डिया एण्ड उपनिषदिक विज्डम’ नामक पुस्तक लिख रहीं हैं और पिछले तीन वर्षों से ऋतंभरा के संघ के साथ योग सूत्र का भी अध्ययन कर रही हैं। इस व्याख्यान में प्रख्यात स्विस मनोचिकित्सक एवं मनोविश्लेषक कार्ल गुस्ताव जंग का भारत के साथ जो संबंध रहा है, उसके इतिहास का अन्वेषण किया जाएगा और भारत के प्राचीन साहित्य के साथ उनके शुरुआती व्यापक परिचय पर भी चर्चा की जाएगी।
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साथ ही कार्ल जंग के नजरिए में भारत की संस्कृति के प्रति जो बदलाव आया उस पर प्रकाश डालते हुए विषय से संबंधित संदेहों व आशंकाओं का भी समाधान किए जाने का प्रयास किया जाएगा। मुख्य वक्ता नोआ श्वार्ट्ज फुएरस्टीन ने बताया कि इस उद्देश्य से उन्होंने ‘बृहदारण्यक उपनिषद’ से एक विशेष अध्याय का चुनाव किया है, जिसमें ऋषि याज्ञवल्क्य और उनकी पत्नी मैत्रे के बीच संवाद निहित है।
व्याख्यान में भारतीय आश्रम प्रणाली की तुलना जंग के ‘जीवन की अवस्थाओं’ के सिद्धांत से भी की जाएगी। सिस्को वेबैक्स के माध्यम से आयोजित होने वाले इस व्याख्यान में संस्थान के अध्येताओं के अलावा देश-विदेश से कई जाने-माने विद्वानों के भाग लेने की संभावना है।
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