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शिमला ! सरस्वती नगर से ज़िला परिषद् सदस्य व ज़िला परिषद् शिमला बाग़वानी व उद्योग कमेटी के चेयरमन कौशल मुँगटा ने फिर एक बार सरकार को बागवानों की अनदेखी पर घेरा है, उनका कहना है की बेमौसमी बर्फ़बारी व ओलावृष्टि से हुए नुक्सान पर सरकार ने अभी तक कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई है और मुआवज़े की राशि किसी को नहीं मिली है, उन्होंने कहा की एक महीने से ज़्यादा का समय हो चुका है ना कोई मौक़े पर आया और ना ही कोई रिपोर्ट तैयार की जा रही है। उनका कहना है की सरकार ने जो इसके लिए कमेटी बनाई थी,वो,और उसकी रिपोर्ट दोंनो कहाँ ग़ायब है, बागवानों को हमेशा सरकार हल्के में लेती आयी है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा उन्होंने कहा की अगर यही हाल रहा तो वो ज़रूर बागवानों के हितों की रक्षा के लिये कोरोना के इस काल में सड़कों पर उतरेंगे। मूँगटा का कहना है की सरकार अपनी नाकामी को कोरोना की आड़ में छिपाना चाहती है लेकिन बागवान अपनी आवाज़ दबने नहीं देंगे सरकार को समझना चाहिए की 5000 करोड़ की सेब आर्थिकी प्रदेश के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। बागवानो से हर वर्ष इंश्योरेंस के नाम पर प्रीमियम काटा जाता है उसका भी कोई अता पता नहीं है सरकार ने स्पष्ट रूप से बागवानों को कई वर्षों से बर्बाद होने के लिए छोड़ रखा है। कोरोना काल में जहाँ हर राज्य अपने लोगों को सुविधा प्रदान कर रहे है वहीं हिमाचल सरकार आपदा से हुए नुक़सान तक की भरपाई करने में नाकाम है। मुँगटा का कहना है की सरकार केंद्र से आयी आवाज़ तो सुन लेती है लेकिन सत्ता में जिन लोगों ने लाया है उन्हें आज नज़रअन्दाज़ किया जा रहा है और बागवानों और किसानों के साथ कोरोना की आड़ में खिलवाड़ हो रहा है जिसका सरकार को ख़ामयाजा भुगतना पड़ेगा वहीं उन्होंने इस मामले पर गौर करने और जल्द मुआवज़ा देने का सरकार से आग्रह किया है।
शिमला ! सरस्वती नगर से ज़िला परिषद् सदस्य व ज़िला परिषद् शिमला बाग़वानी व उद्योग कमेटी के चेयरमन कौशल मुँगटा ने फिर एक बार सरकार को बागवानों की अनदेखी पर घेरा है, उनका कहना है की बेमौसमी बर्फ़बारी व ओलावृष्टि से हुए नुक्सान पर सरकार ने अभी तक कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई है और मुआवज़े की राशि किसी को नहीं मिली है, उन्होंने कहा की एक महीने से ज़्यादा का समय हो चुका है ना कोई मौक़े पर आया और ना ही कोई रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
उनका कहना है की सरकार ने जो इसके लिए कमेटी बनाई थी,वो,और उसकी रिपोर्ट दोंनो कहाँ ग़ायब है, बागवानों को हमेशा सरकार हल्के में लेती आयी है लेकिन अब ऐसा नहीं होगा उन्होंने कहा की अगर यही हाल रहा तो वो ज़रूर बागवानों के हितों की रक्षा के लिये कोरोना के इस काल में सड़कों पर उतरेंगे।
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मूँगटा का कहना है की सरकार अपनी नाकामी को कोरोना की आड़ में छिपाना चाहती है लेकिन बागवान अपनी आवाज़ दबने नहीं देंगे सरकार को समझना चाहिए की 5000 करोड़ की सेब आर्थिकी प्रदेश के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।
बागवानो से हर वर्ष इंश्योरेंस के नाम पर प्रीमियम काटा जाता है उसका भी कोई अता पता नहीं है सरकार ने स्पष्ट रूप से बागवानों को कई वर्षों से बर्बाद होने के लिए छोड़ रखा है। कोरोना काल में जहाँ हर राज्य अपने लोगों को सुविधा प्रदान कर रहे है वहीं हिमाचल सरकार आपदा से हुए नुक़सान तक की भरपाई करने में नाकाम है।
मुँगटा का कहना है की सरकार केंद्र से आयी आवाज़ तो सुन लेती है लेकिन सत्ता में जिन लोगों ने लाया है उन्हें आज नज़रअन्दाज़ किया जा रहा है और बागवानों और किसानों के साथ कोरोना की आड़ में खिलवाड़ हो रहा है जिसका सरकार को ख़ामयाजा भुगतना पड़ेगा वहीं उन्होंने इस मामले पर गौर करने और जल्द मुआवज़ा देने का सरकार से आग्रह किया है।
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