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शिमला , 03 जनवरी [ विशाल सूद ] ! हिमाचल में कोई भी मुख्य संसदीय सचिव(सीपीएस) मंत्रियों जैसी सुविधाएं नहीं ले पाएगा। हाईकोर्ट ने यह अंतरिम आदेश बुधवार को केस की सुनवाई के दौरान दिए है। मामले को लेकर अगली सुनवाई 12 मार्च को तय की गई है। हाईकोर्ट में पिछले कल और आज दो दिन से सीपीएस की नियुक्ति को असंवैधानिक बताने वाली भाजपा विधायकों की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई हुई। भाजपा विधायकों की ओर से हाईकोर्ट में केस की पैरवी कर रहे एडवोकेट सत्यपाल जैन ने कहा कि अब कोई भी सीपीएस मंत्रियों के समान काम नहीं कर पाएंगे। कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। मामले में अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती। यानी प्रदेश में अधिकतम 12 मंत्री लगाए जा सकते हैं। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, प्रदेश में मंत्री और सीपीएस की संख्या में 15 फीसदी से ज्यादा हो गई है इसलिए सीपीएस की नियुक्तियों को भाजपा विधायकों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
शिमला , 03 जनवरी [ विशाल सूद ] ! हिमाचल में कोई भी मुख्य संसदीय सचिव(सीपीएस) मंत्रियों जैसी सुविधाएं नहीं ले पाएगा। हाईकोर्ट ने यह अंतरिम आदेश बुधवार को केस की सुनवाई के दौरान दिए है। मामले को लेकर अगली सुनवाई 12 मार्च को तय की गई है।
हाईकोर्ट में पिछले कल और आज दो दिन से सीपीएस की नियुक्ति को असंवैधानिक बताने वाली भाजपा विधायकों की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई हुई। भाजपा विधायकों की ओर से हाईकोर्ट में केस की पैरवी कर रहे एडवोकेट सत्यपाल जैन ने कहा कि अब कोई भी सीपीएस मंत्रियों के समान काम नहीं कर पाएंगे।
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कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। मामले में अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती। यानी प्रदेश में अधिकतम 12 मंत्री लगाए जा सकते हैं।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, प्रदेश में मंत्री और सीपीएस की संख्या में 15 फीसदी से ज्यादा हो गई है इसलिए सीपीएस की नियुक्तियों को भाजपा विधायकों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
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