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शिमला ! हिमाचल प्रदेश संयुक्त कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों ने हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को छठवें वेतन आयोग से हो रहे नुकसान और उस पर सरकार की उदासीनता पर चिंता व्यक्त की है। महासंघ की तरफ से स्पष्ट किया गया कि छठे वेतन आयोग के लागू होने से हिमाचल प्रदेश के सभी कर्मचारियों को भारी नुकसान हुआ है। सयुंक्त कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने कहा कि सरकार का रवैया वेतन विंगतियो को दूर करने के लिए काफी उदासीन रहा है। अभी तक सरकार ने जो कमेटी गठित की है उस कमेटी की ना तो कोई बैठक हुई है और ना ही उसमें कोई आगामी कार्रवाई हो पाई है। जिसमें 2 साल के राइडर को खत्म करना और इनिशियल स्टार्ट की बहाली करना , जो कि 27 सितंबर 2012 की अधिसूचना के कारण वेतन संशोधन के दौरान लगाई गई थी जो कि पंजाब से हटकर थी, उसे हटाने के लिए अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। सरकार को कर्मचारियों के देय लाभ शीघ्र प्रदान करने होगे वरना सयुक्त कर्मचारी महासंघ प्रदेश व्यापी आंदोलन को और तेज गति देगा। महासंघ ने सरकार और विभाग पर यह भी आरोप लगाया कि संयुक्त कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों को प्रताड़ित करना और उनको आए दिन अलग-अलग तरह के शो कॉज नोटिस देने तथा परेशान करने व डराने के मकसद से बार-बार स्पष्टीकरण के लिए बुलाना कर्मचारी विरोधी कार्य है तथा ट्रेड यूनियन एक्ट का सरासर उल्लंघन है।
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