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शिमला ! हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रोफ़ेसर ज्योति प्रकाश ने कहा है कि दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए विपश्यना ध्यान शिविर का आयोजन परिसर में एक नई पहल है। इससे विद्यार्थियों को पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने में बहुत सहायता मिलेगी। यह एक वैज्ञानिक पद्धति है जिसे विश्व के अनेक देशों ने स्वीकार किया है। प्रो. ज्योति प्रकाश ने विश्वविद्यालय के विकलांगता मामलों के नोडल अधिकारी द्वारा आयोजित विपश्यना के पहले चरण में आनापान ध्यान शिविर का उद्घाटन किया। इसमें दिव्यांग विद्यार्थियों के साथ कुछ अन्य विद्यार्थियों ने भी हिस्सा लिया। सुन्दरनगर के महाराजा लक्ष्मण सेन मेमोरियल कॉलेज में भौतिकी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और विपश्यना के वरिष्ठ साधक डॉ विनोद कुमार एवं शिमला की वरिष्ठ साधिका श्रीमती कुसुम लता ने शिविर का संचालन किया। प्रशिक्षक साधकों ने कहा कि विपश्यना हमारी बुद्धि एवं याददाश्त को बेहतर बनाती है और उसका निरंतर अभ्यास हमें क्षेत्र में सफल बनाता है। हम अनेक प्रकार की बुराइयों से बच जाते हैं। उनका यह भी कहना था कि विपश्यना से हमारे मन में किसी मानव, जीव-जंतु अथवा वनस्पतियों के प्रति भी कोई दुर्भावना नहीं रहती। हम झूठ, नशा, चोरी, व्यभिचार और हिंसा आदि बुराइयों से बचे रह सकते हैं। अपनी तरह के इस पहले ध्यान शिविर में 47 विद्यार्थियों ने भाग लिया। विकलांगता मामलों के नोडल अधिकारी प्रो.अजय श्रीवास्तव ने बताया कि पीएचडी कर रहे विद्यार्थियों - प्रतिभा ठाकुर, श्वेता शर्मा, सवीना जहां, मुस्कान नेगी, मुकेश कुमार और अंजना ठाकुर कहा कि विपश्यना विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है। इससे मन शांत रहेगा और विभिन्न तनावों के बीच पढ़ाई करना आसान हो जाएग। लोक प्रशासन में पीएचडी की दृष्टिबाधित छात्रा इतिका चौहान के अनुसार ऐसे शिविर नियमित रूप से होने चाहिए। एमसीए के दिव्यांग विद्यार्थियों- नमन शर्मा और अक्षिता का कहना था कि युवाओं के चरित्र निर्माण में भी विपश्यना से मदद मिलेगी। राजनीति विज्ञान की दृष्टिबाधित छात्राओं शगुन चौहान और शिवानी अत्री का कहना था कि विपश्यना के अंतर्गत आनापान ध्यान से शुरुआत करके उन्हें अच्छा लगा। दृष्टिबाधित विद्यार्थियों - सुखबीर सिंह, अमित कुमार, काजल पठानिया ने कहा कि विद्यार्थियों के साथ साथ शिक्षकों के लिए भी ध्यान शिविर आयोजित होने चाहिए।
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