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शिमला ! हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व के स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर राज्य विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित करते हुए राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द का हिमाचल आने पर अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल के 50 सालों की स्वर्णिम यात्रा के इस महत्वपूर्ण व एतिहासिक क्षणों का हम हिस्सा बने हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस मौके पर राज्य को राष्ट्रपति का मार्गदर्शन मिला है, जिससे राज्य के विकास की रूपरेखा के लिए एक दिशा मिलेगी। उन्होंने कहा कि उनके शासकीय व राजनीतिक अनुभवों का लाभ हमें मिलेगा। उन्होंने कहा कि विधानसभा लोकतंत्र का मंदिर है। यहां जनता द्वारा चुने गये उनके प्रतिनिधि उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप लोगों के विचार रखते हैं, जिसका प्रतिरूप हमें यहां देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि विधानसभा सकारात्मक चर्चा का केंद्र माना जाता है। उन्होंने कहा कि वाद से ही तत्वों का बोध होता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों की विभिन्न संस्कृति, वेशभूषा और रीति रिवाज हैं और विविधता के इस सम्मान की भावना को आगे बढ़ने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि लोगों में यह विश्वास जाना चाहिये कि उनकी बात और विचार रखने वाला कोई प्रतिनिधि है। उन्होंने इस मौके पर हिमाचल की उन सभी महान विभूतियों को भी नमन किया जिन्होंने प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व को दिलवाने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। वर्षों के संवैधानिक व शांतिमय संघर्ष के बाद 25 जनवरी, 1971 को हिमाचल प्रदेश का भारत के 18वें राज्य के रूप में जन्म हुआ। उन्होंने कहा कि हम सभी प्रदेशवासी उन सभी निर्माताओें को नमन करते हैं जिन्होंने हिमाचल का एक अलग राज्य के रूप में सपना देखा था। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने एक पहाड़ी राज्य होने के बावजूद विकास के कई आयाम स्थापित किए हैं। इससे पूर्व राज्यपाल ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘हूज़-हू’ का विमोचन किया।
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