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शिमला ! केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के शिमला जिला संयुक्त मंच इकाई ने 28-29 मार्च की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के सिलसिले में कालीबाड़ी हॉल शिमला में जिलाधिवेशन का आयोजन किया। अधिवेशन में फैसला लिया गया कि अपनी मांगों को पूर्ण करने के लिए मजदूर व कर्मचारी हिमाचल प्रदेश में दो दिन की ऐतिहासिक हड़ताल करेंगे। मंच ने केंद्र सरकार को चेताया है कि अगर मजदूरों व कर्मचारियों की मांगों को पूर्ण न किया गया तो आंदोलन तेज होगा। अधिवेशन में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,जिलाध्यक्ष कुलदीप डोगरा,महासचिव अजय दुलटा,रमाकांत मिश्रा,बालक राम,हिमी देवी,विनोद बिरसांटा,दलीप सिंह,सुनील मेहता,पूर्ण चंद,रंजीव कुठियाला,इंटक प्रदेश उपाध्यक्ष राहुल मेहरा,महासचिव बी एस चौहान,गौरव चौहान,नरेंद्र चंदेल,पूर्ण चंद,राहुल नेगी,एटक प्रदेश प्रेस सचिव संजय शर्मा,इंद्र सिंह डोगरा,मस्सी लाल,प्रेम सिंह,शिव राम,एचपीएमआरए प्रदेशाध्यक्ष हुक्म चंद शर्मा,केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति वाइस चेयरमैन बलबीर सूरी,एजी ऑफिस एसोसिएशन उपाध्यक्ष राजेन्द्र,ऑडिट एंड अकाउंट्स पेंशनर एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत भूषण आदि शामिल रहे। अधिवेशन को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा एनपीएस कर्मियों के शांतिपूर्वक आंदोलन को पुलिस बल के ज़रिए कुचलने के घटनाक्रम की कड़ी निंदा की है व इसे प्रदेश सरकार की तानाशाही करार दिया है। उन्होंने एनपीएस कर्मियों से एकजुटता प्रकट की है व ऐलान किया कि 28-29 जनवरी की हड़ताल में ओल्ड पेंशन स्कीम एक प्रमुख मुद्दा बनेगा। उन्होंने केंद्र सरकार की मज़दूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों की खुली आलोचना की। उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकार को चेताया कि अगर उसने पूँजीपतिपरस्त नीतियों को बन्द न किया तो आंदोलन तेज होगा। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि मजदूर विरोधी चार लेबर कोड निरस्त किये जाएं। वर्ष 2003 से नियुक्त सरकारी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल की जाए। सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण बन्द किया जाए व नेशनल मोनेटाइजेशन पाइप लाइन योजना को वापिस लिया जाए। मजदूरों का न्यूनतम वेतन 21 हज़ार रुपये घोषित किया जाए। आंगनबाड़ी,आशा व मिड डे मील कर्मियों को नियमित कर्मचारी घोषित किया जाए। मनरेगा में दो सौ दिन का रोजगार दिया जाए व छः सौ रुपये दिहाड़ी लागू की जाए। भारी महंगाई पर रोक लगाई जाए। आउटसोर्स व ठेका प्रथा पर रोक लगाई जाए। आउटसोर्स के लिए ठोस नीति बनाई जाए। मोटर व्हीकल एक्ट में मालिक व मजदूर विरोधी बदलाव बन्द किये जाएं।
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