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शिमला ! दलित शोषण मुक्ति मंच हिमाचल प्रदेश राज्य कमेटी ने डॉ भीमराव अंबेडकर की 66वीं पुण्यतिथि के मौके पर डीसी ऑफिस शिमला पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान दलित अधिकारों व मांगों को लेकर प्रदर्शन किया गया। मंच के पदाधिकारी उपायुक्त शिमला से मिले व उन्हें आठ सूत्रीय मांग-पत्र सौंपा। मंच के पदाधिकारियों ने उपायुक्त शिमला को भारतीय संविधान की प्रस्तावना की प्रतिलिपि भेंट की व मांग की कि भारतीय प्रस्तावना को सभी कार्यालयों में लगाया जाए। प्रदर्शन व श्रद्धांजलि कार्यक्रम में राज्य संयोजक जगत राम,शिमला शहरी संयोजक विवेक कश्यप,जिला सह संयोजक सुरेंद्र तनवर,संजय चौहान,विजेंद्र मेहरा,फालमा चौहान,भीम आर्मी अध्यक्ष रवि कुमार दलित,राकेश कुमार,बालक राम,चंद्रकांत वर्मा,जगमोहन ठाकुर,दलीप सिंह, अनिल ठाकुर,राजेश कुमार,रंजीव कुठियाला,हिमी देवी,रिंकू,समीर,अमित कुमार,योगेश व रामप्रकाश आदि मौजूद रहे। मंच के राज्य संयोजक जगत राम,जिला सह संयोजक सुरेंद्र तनवर व शिमला शहरी संयोजक विवेक कश्यप ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर की पुण्यतिथि के मौके पर मंच के तत्वाधान में प्रदेशभर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किये गए। उन्होंने कहा कि छः से पच्चीस दिसम्बर तक दलित मुद्दों पर प्रदेशव्यापी जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत बारह दिसम्बर को शिमला के कालीबाड़ी हॉल में एक राज्य स्तरीय अधिवेशन आयोजित होगा जिसमें दो सौ प्रतिनिधि भाग लेंगे। उन्होंने संविधान के मूल्यों की रक्षा करने,संविधान की प्रस्तावना को सभी कार्यालयों में स्थापित करने,दलितों पर बढ़ते हमलों को रोकने,अनुसूचित जाति,जनजाति उत्पीड़न रोकथाम कानून को सख्ती से लागू करने,निजी क्षेत्र में आरक्षण व्यवस्था लागू करने,सरकारी नौकरियों में नियमित भर्तियां करने व आरक्षण व्यवस्था लागू करने,दलितों के रिक्त पदों को तुरन्त भरने तथा अनुसूचित जाति,जनजाति उप योजना के बजट को दलितों के विकास के लिए खर्च करने व इसके दुरुपयोग को रोकने आदि मुद्दे एक मांग-पत्र के माध्यम से उपायुक्त शिमला के माध्यम से प्रदेश सरकार के समक्ष प्रस्तुत किये व समाधान की मांग की। उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया है। स्वर्ण आयोग बनाने की मांग करने वालों द्वारा सरेआम आरक्षण व अनुसूचित जाति,जनजाति उत्पीड़न रोकथाम कानून की शवयात्रा निकालना गैर संवैधानिक है व सरकार द्वारा इसकी इज़ाज़त देना संविधान की हत्या है। उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में देश व प्रदेश में दलितों का उत्पीड़न बढ़ा है। उन पर शारीरिक हमले बढ़े हैं। उनकी हत्याएं तक हुई हैं। इस दौर में अनुसूचित जाति,जनजाति उत्पीड़न रोकथाम कानून को सख्ती से लागू करने की आवश्यकता थी परन्तु इस कानून को सरकार ने कमज़ोर करने की निरन्तर कोशिश की है। हिमाचल प्रदेश में भी दलितों पर उत्पीड़न व हमलों की घटनाओं में भारी इज़ाफ़ा हुआ है। प्रदेश सरकार इन हमलों व उत्पीड़न पर खामोश रही है।
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