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शिमला ,29 नवंबर ! मंगलवार को भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत हुई। संगोष्ठी का मुख्य विषय भारत विभाजन की त्रासदी और भारतीय भाषाओं का साहित्य है । इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकाश परिषद के निदेशक प्रो. रविप्रकाश टेकचंदानी, संस्थान के नेशनल फेलो प्रो. हरपाल सिंह और बीज वक्ता के रूप में वेंकटेश्वर कालेज, नई दिल्ली से प्रो. निर्मल कुमार उपस्थित थे। मान्यवर अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके इस संगोष्ठी की शुरुआत हुई। संगोष्ठी के संयोजक डॉ मनीष कुमार मिश्रा ने स्वागत भाषण के साथ संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। दिल्ली के वेंकटेश्वर कॉलेज में इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो निर्मल कुमार ने विभाजन और सिनेमा के परिप्रेक्ष्य में अपना सारगर्भित वक्तव्य दिया। प्रो. हरपाल सिंह ने विभाजन की त्रासदी को लेकर अपने विचार साझा किए । प्रो. रवि टेकचंदानी ने सिंधी साहित्य और समाज के परिप्रेक्ष्य में बड़ा मार्मिक वक्तव्य प्रस्तुत किया। इस अवसर पर उन्होंने विभाजन पर प्रकाशित अपनी पुस्तक की प्रति भी संस्थान के सचिव श्री मेहर चंद नेगी को भेंट की। संस्था के निदेशक प्रो. नागेश्वर राव ने ऑनलाईन माध्यम से कार्यक्रम से जुड़े और सभी आए हुए अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापित किया। अंत में संस्थान के सचिव श्री मेहरचंद नेगी ने आभार ज्ञापन की जिम्मेदारी पूरी की। राष्ट्रगान के साथ यह उद्घाटन सत्र समाप्त हुआ। उद्घाटन सत्र के अतिरिक्त पहले दिन तीन चर्चा सत्र संपन्न हुए जिनमें देश भर से जुड़े 10 विद्वानों ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। इन तीनों सत्रों की अध्यक्षता क्रमशः प्रो. आलोक गुप्ता, प्रो. निर्मल कुमार और प्रो. रविंदर सिंह जी ने किया। इस तरह पहले दिन की संगोष्ठी बड़े सुखद वातावरण में संपन्न हुई।
शिमला ,29 नवंबर ! मंगलवार को भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत हुई। संगोष्ठी का मुख्य विषय भारत विभाजन की त्रासदी और भारतीय भाषाओं का साहित्य है । इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय सिंधी भाषा विकाश परिषद के निदेशक प्रो. रविप्रकाश टेकचंदानी, संस्थान के नेशनल फेलो प्रो. हरपाल सिंह और बीज वक्ता के रूप में वेंकटेश्वर कालेज, नई दिल्ली से प्रो. निर्मल कुमार उपस्थित थे।
मान्यवर अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके इस संगोष्ठी की शुरुआत हुई। संगोष्ठी के संयोजक डॉ मनीष कुमार मिश्रा ने स्वागत भाषण के साथ संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। दिल्ली के वेंकटेश्वर कॉलेज में इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो निर्मल कुमार ने विभाजन और सिनेमा के परिप्रेक्ष्य में अपना सारगर्भित वक्तव्य दिया। प्रो. हरपाल सिंह ने विभाजन की त्रासदी को लेकर अपने विचार साझा किए । प्रो. रवि टेकचंदानी ने सिंधी साहित्य और समाज के परिप्रेक्ष्य में बड़ा मार्मिक वक्तव्य प्रस्तुत किया।
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इस अवसर पर उन्होंने विभाजन पर प्रकाशित अपनी पुस्तक की प्रति भी संस्थान के सचिव श्री मेहर चंद नेगी को भेंट की। संस्था के निदेशक प्रो. नागेश्वर राव ने ऑनलाईन माध्यम से कार्यक्रम से जुड़े और सभी आए हुए अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापित किया। अंत में संस्थान के सचिव श्री मेहरचंद नेगी ने आभार ज्ञापन की जिम्मेदारी पूरी की। राष्ट्रगान के साथ यह उद्घाटन सत्र समाप्त हुआ।
उद्घाटन सत्र के अतिरिक्त पहले दिन तीन चर्चा सत्र संपन्न हुए जिनमें देश भर से जुड़े 10 विद्वानों ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। इन तीनों सत्रों की अध्यक्षता क्रमशः प्रो. आलोक गुप्ता, प्रो. निर्मल कुमार और प्रो. रविंदर सिंह जी ने किया। इस तरह पहले दिन की संगोष्ठी बड़े सुखद वातावरण में संपन्न हुई।
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