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शिमला ! हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव महेश्वर चौहान ने कहा कि अदानी और लदानी प्रदेश के बाग़वानों को लूट रहे है और ऐसी नाज़ुक स्थिति में हिमाचल के बाग़वानी मंत्री पूरे परिदृश्य से ग़ायब है । जिस तरह से प्रदेश में सेब के दामों में अचानक गिरावट आई है वो एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है। इससे साफ नजर आ रहा है कि सरकार और पूँजीपतियों की मिलीभगत से ये किया जा रहा ।जहां एक तरफ सेब के दामों में आई गिरावट से प्रदेश के बागवान हताश एवं चिंतित है, वहीं दूसरी ओर इस गिरावट से प्रदेश की एक मजबूत आर्थिक को भी धक्का लगेगा।सेब उद्योग को बचाने के लिए केंद्र सरकार से मामला उठाएं प्रदेश सरकार। उन्होंने कहा की केंद्र सरकार विदेशी सेब के आयात पर रोक लगाएं ।भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव में सेब को विशेष उत्पाद श्रेणी का दर्ज़ा दिलाने व सेब पर आयात शुल्क तीन गुना बढ़ाने की बात की थी। सेब को विशेष उत्पाद की श्रेणी में शामिल करना तो दूर की बात हैं इसके विपरीत सेब पर जो आयात शुल्क 50% प्रतिशत हुआ करता था मोदी सरकार ने उसे घटाकर 15% प्रतिशत कर दिया हैं जिसके चलते अब विदेशों से सस्ते दामों में सेब आयात होगा और प्रदेश के बागवानों को भारी आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ेगा। इसलिय अविलंब प्रदेश सरकार बाहरी देशों से सेब आयात पर रोक लगाने का मामला केंद्र सरकार से उठाएं। जब सेब उत्पादक इस घोर संकट से गुज़र रहे है और अपने आपको और सेब की आर्थिकी को जीवित रखने के लिए संघर्ष करे रहे है तो प्रदेश के बाग़वानी मंत्री पूरे परिदृश्य से नदारद है।और ऐसे समय में मुख्यमंत्री जी का सेब के तुड़ान को रोकने का बयान भी निराशाजनक है ।बाग़वानों को राम भरोसे छोड़ कर सरकार का सारा ध्यान उप-चुनाव पर ही केंद्रित है। अदानी और लदानी मिलकर बाग़वानों को लूट रहे है और सरकार मुखदर्शक बन कर तमाशा देख रही है ।अदानी द्वारा ज़ारी किए गए सेब के दामों पर तुरन्त हस्तक्षेप करें सरकार। महेश्वर चौहान ने कहा कि सेब की उत्पादन लागत बढ़ती जा रही हैं। फफूंदनाशक-कीटनाशक दवाइयां महंगी , सेब पैकिंग सामग्री के मूल्यों में 25-30% की वृद्वि, पेट्रोल-डीज़ल के दामों में बढ़ोतरी के चलते भाड़े में भी अतिरिक्त वृद्वि हुई हैं। उन्होंने कहा कि उत्पादन लागत में अप्रत्याशित वृद्वि हुई हैं और इसके बावजूद भी अदानी ग्रुप इस वर्ष बरसों पहले निर्धारित किए गए दामों पर बाग़वानों से सेब ख़रीद रहा हैं। सरकार तुरन्त इस मामले में हस्तक्षेप करे अदानी प्रबंधन से बातचीत कर उनकी मनमानी पर रोक लगायें और बागवानों के हितों की रक्षा करे।
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