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शिमला ! प्रदेश कांग्रेस सचिव हरिकृष्ण हिमराल ने प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण पर बल देते हुए कहा है कि कोरोना की इस महामारी ने आज देश प्रदेश के महत्व को ओर भी बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में बढ़ते पर्यावरण विरोधी ओद्योगिककरण ने कोरोना को बढ़ाने में ही मदद की है।उन्होंने कहा है कि आंकड़ों के अनुसार कोरोना ने उन ओद्योगिक क्षेत्रों को ज्यादा प्रभावित किया है जहां पर्यावरण विगड़ता जा रहा है। हिमराल ने आज यहां कहा कि कोरोना की इस लहर ने सरकारों को अब पर्यावरण को सुरक्षित रखने और इसके सरंक्षण पर सोचने में मजबूर कर दिया है।प्रकृति से खिलवाड़, पेड़ो का अबैध कटना, नदी नालों के साथ आबोहवा को दुषित करने पर अब एक सख्त कानून की आवश्यकता बन गई है। हिमराल ने कहा कि प्रदेश में सीमेंट उद्योग ने प्रदेश की आबोहवा में सबसे ज्यादा ज़हर घोलने का काम किया है।इसके अलावा गाड़ियों के धुंए की पर्यावरण की जांच न होना भी इसका प्रमुख कारण माना जा सकता है।उन्होंने कहा है कि प्रदेश मके सरकार को पर्यावरण मित्र उद्योगों की स्थापना के लिए प्रयास करने होंगे,जिससे भविष्य में कोरोना जैसी महामारी के चलते ऑक्सीजन या दुषित आवोहवा से न गुजरना पड़े।
शिमला ! प्रदेश कांग्रेस सचिव हरिकृष्ण हिमराल ने प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण पर बल देते हुए कहा है कि कोरोना की इस महामारी ने आज देश प्रदेश के महत्व को ओर भी बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में बढ़ते पर्यावरण विरोधी ओद्योगिककरण ने कोरोना को बढ़ाने में ही मदद की है।उन्होंने कहा है कि आंकड़ों के अनुसार कोरोना ने उन ओद्योगिक क्षेत्रों को ज्यादा प्रभावित किया है जहां पर्यावरण विगड़ता जा रहा है।
हिमराल ने आज यहां कहा कि कोरोना की इस लहर ने सरकारों को अब पर्यावरण को सुरक्षित रखने और इसके सरंक्षण पर सोचने में मजबूर कर दिया है।प्रकृति से खिलवाड़, पेड़ो का अबैध कटना, नदी नालों के साथ आबोहवा को दुषित करने पर अब एक सख्त कानून की आवश्यकता बन गई है।
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हिमराल ने कहा कि प्रदेश में सीमेंट उद्योग ने प्रदेश की आबोहवा में सबसे ज्यादा ज़हर घोलने का काम किया है।इसके अलावा गाड़ियों के धुंए की पर्यावरण की जांच न होना भी इसका प्रमुख कारण माना जा सकता है।उन्होंने कहा है कि प्रदेश मके सरकार को पर्यावरण मित्र उद्योगों की स्थापना के लिए प्रयास करने होंगे,जिससे भविष्य में कोरोना जैसी महामारी के चलते ऑक्सीजन या दुषित आवोहवा से न गुजरना पड़े।
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